गोवंशों को अन्ना छोडने वाले किसानों के खिलाफ थानो पर मुकदमा पंजीकृत किया जायेगा
गौ संरक्षण केन्द्रों को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ग्रामीण रोजगार का बडा जरिया बनाने जा रहे है। इसके लिए योजना तैयार..
बांदा,
गौ संरक्षण केन्द्रों को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ग्रामीण रोजगार का बडा जरिया बनाने जा रहे है। इसके लिए योजना तैयार कर ली गयी है। हमारे प्रदेश भर के हजारों की संख्या में गौ संरक्षण केन्द्रों में स्थानीय लोंगो की सहभागिता बढाकर उन्हें रोजगार से जोडा जायेगा। गोवंशों को अन्ना छोडने वाले किसानों के खिलाफ थानो पर मुकदमा पंजीकृत किया जायेगा।
उपरोक्त विचार सर्किट हाउस सभागार में मंत्री पशुधन एवं दुग्ध विकास, राजनैतिक पेंशन, अल्प संख्यक, मुस्लिम वक्फ एवं हज तथा नागरिक सुरक्षा विभाग धर्मपाल सिंह ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति सभ्यता में आस्था का बहुत महत्व है। मनुष्य की जीवन शैली पशुओं से ही चलती है, संकट आने पर पशु ही मानव को बचाते हैं तथा पक्षियों की चहचहाहट से उठो जागो और काम पर चलो का संदेश देते हैं। इस बदलते दौर की बिडम्बना ही कहेंगे कि जहां गौवंशो की पूजन से वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित बनाया जाता था।
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वहीं अब गौवंश को किसान मुसीबत के रूप में देखनेे लगा है। जरूरत है इस समस्या के सकारात्मक समाधान की। बुन्देलखण्ड की बडी विडम्बना है कि जब तक गाय दूध देती है तब तक किसान उसे रखते हैं अन्यथा छोड देते हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री जी उप्र सरकार ने पशु क्रूरता अधिनियम की धारा किसनों पर लगायेगी और थानो पर मुकदमा भी पंजीकृत किया जायेगा।
मंत्री श्री सिंह ने कहा कि हद तो उस बात है जो सबको आश्रय देता है उनको हम निराश्रित कर देते हैं। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि समस्त पशु चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया जाए कि अपने-अपने क्षेत्र पर भ्रमण कर गौवंशो का इलाज बेहतर ढंग से किया जाए और स्थानीय लोंगो को सीधे जोडा जाए। गौ संरक्षण केन्द्र और आश्रय स्थलों के साथ ही गौवंश के स्वास्थ्य, टीकाकरण एवं स्वच्छता में स्थानीय लोंगो एवं जनप्रतिनिधियों की सहभागिता बनायी जाए। गोबर, गौमूत्र से बनने वाली चीजों के साथ ही गौ संरक्षण केन्द्रों के आस-पास पौधरोपण और उनकी देखभाल का काम भी स्थानीय लोगों से कराया जाए, क्योंकि सरकार की योजना है कि लोगों की सहभागिता से गौ संरक्षण के साथ ही उनको गॉवों में ही रोजगार उपलब्ध कराने की।
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श्री सिंह ने कहा कि जनपद में 292 अस्थायी निराश्रित गौ संरक्षण केन्द्र हैं तथा ग्रामीण अस्थायी निराश्रित गौवंश 47418 हैं। शहर में 05 गौ आश्रय स्थल हैं। कान्हा गौ आश्रय स्थल 3 है जिसमें 807 गौवंश संरक्षित हैं। इन गौशालाओं से समाज को सहयोग से जोडने का कार्य किया जाए। गौवंशो को किसी भी र्प्रकार की परेशानी का सामना नही करना पडेगा। इसीलिए कानून बनाकर गौशालाओं में गौवंश संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। मंत्री जी ने अवगत कराया कि गौ पालकों को गौ संरक्षण केन्द्र के लिए सरकार प्रति 2 एकड की जमीन पर 1 लाख 20 हजार रूपये का अनुदान दे रही है।
गौ संरक्षण केन्द्रों पर शेड, पेयजल समेत तमाम मूलभूत सुविधायें उपलब्ध होंगी। गौवंशो के भरण-पोषण के लिए 30 रूपये धनराशि प्रति गौवंश हस्तान्तरित करायी जा रही है। गौ संरक्षण केन्द्र चलाने वाले व्यक्तियों को गौवंश के गोबर, मूत्र और दूध आदि से अतिरिक्त कमायी भी हो रही है और स्थानीय लोंगो को रोजगार भी मिल रहा हैै। इस मौके पर जलशक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद एवं सांसद चित्रकूट-बांदा आरके सिंह पटेल ने कहा कि गौशालाओं का चिन्हीकरण कर शत-प्रतिशत बधियाकरण करना सुनिश्चित करें क्योंकि लगातार संख्या बढती जा रही है। उन्होंने कहा कि नश्ल सुधार पर विशेष जोर दें।
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