नौकरी छोड़ युवा ने शुरु की खेती, केले के साथ सहफसली के रुप में लगाया आलू
पूणे से एमबीए करने के बाद नौकरी भी किया, लेकिन उसे छोड़कर अब एक युवा ने गांव में खेती करने की ठान ली..
लखनऊ,
पूणे से एमबीए करने के बाद नौकरी भी किया, लेकिन उसे छोड़कर अब एक युवा ने गांव में खेती करने की ठान ली। इस वर्ष गोंडा जिले के वजीरगंज ब्लाक के मोहनपुर गांव के अभिनव कुमार सिंह ने चार हेक्टेयर में केले की खेती की है। उन्होंने केले के खेत में ही सहफसली के रूप में आलू भी लगाया है, जिसे देखकर लोग दंग हैं। अभिनव सिंह का कहना है की चार हेक्टेयर में एक हजार क्वींटल आलू के पैदावार हो जाने की पूरी उम्मीद है।
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युवा व प्रगतिशील किसान अभिनव कुमार सिंह ने बताया कि उद्यान विभाग से प्रेरणा लेकर केले की खेती चार एकड़ में इस साल शुरू की। इसके पौधे से पौध की दूरी छह फिट और मेढ़ से मेढ़ की दूरी भी छह फिट होती है।
इस तरह पूरे खेत में 10,000 पौधे लगे, जो अहमद नगर से मंगाया गया था। यह केला जी-9 वेराइटी का है। इस पौधे को मंगाने में सोलह रुपये प्रति पौधा खर्च आया है, जबकि 10 रुपये प्रति पौधा के हिसाब से उद्यान विभाग अनुदान दे देता है अर्थात एक लाख, 60 हजार रुपये खर्च केला का पौध मंगाने में आया है। इसमें एक लाख रुपये अनुदान मिल जाएगा।
उन्होंने बताया कि छह फीट क्यारी के बीच की दूरी है। इसमें डेढ़-डेढ़ फीट दोनों तरफ छोड़कर बीच में तीन क्यारी आलू लगा दिया। जनवरी-फरवरी तक तैयार हो जाएगी। आलू को अभी से देखकर लगता है कि यह अच्छी पैदावार देगी। उन्होंने कहा कि आलू में तीन वेराइटी का बीज लगाया है।
इसमें कुफरी ख्याति, कुफरी बहार और कुफरी सिंदूरी वेरायटी के आलू हैं। उन्होंने कहा कि आलू की खेती करने से केला पर विशेष असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ठंड में केला की बढ़वार कम हो जाती है। इस बीच आलू की पैदावार निकल जाएगी।
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उन्होंने कहा कि आलू और केले की खेती से फायदा यह है कि जितना खर्च है। वह कुछ फायदा देते हुए ही आलू से निकल जाएगा और केला मुनाफे में हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रति केले के पौध से लगभग 35 किलो केला निकलता है। इस हिसाब से 3,50,000 किलो केला निकलने का अनुमान रहता है।
हिन्दुस्थान समाचार