लॉकडाउन के समय बनवाईं 11 पोषण वाटिका नौनिहालों को बना रही सेहतमंद 

कुपोषण मिटाने व सुपोषण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सुपोषण वाटिका जनपद के नौनिहालों में पोषण उर्जा का संचार कर रही है।

Oct 1, 2020 - 15:53
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लॉकडाउन के समय बनवाईं 11 पोषण वाटिका  नौनिहालों को बना रही सेहतमंद 


कुपोषण मिटाने व सुपोषण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सुपोषण वाटिका जनपद के नौनिहालों में पोषण उर्जा का संचार कर रही है। इसके अलावा घर पर उगी सब्जियों को बाजार में बेंचकर आर्थिक हालात भी मजबूत हो रहे हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने घरों व ग्राम समाज की खाली पड़ी जमीनों पर पोषण वाटिका व किचेन गार्डेन तैयार किए हैं। इसमें जैविक विधि से सब्जियां पैदा की जाती हैं। स्वयं इस्तेमाल के अलावा पड़ोसियों को सस्ते दामों में बेंचकर परिवार का खर्च चला रही हैं। 

जैतपुर ब्लाक के मगरौल कलां गांव में स्वयं सहायता समूह की संगीता देवी इसकी बानगी हैं। संगीता ने बताया कि उनके समूह में 11 महिलाएं हैं। लॉकडाउन के समय मई में उन्होंने गांव में 11 पोषण वाटिका तैयार करवाई थीं। स्वयं इस्तेमाल के बाद जो सब्जियां बेचीं उसे बेंचकर संक्रमण काल में घर खर्च चलाया गया।

संगीता ने बताया कि उसने समूह की रामदेवी, कमली व हरकुंवर के घरों में पोषण वाटिका और संतोषी, उमलेश, रेखा व सुख देवी के घरों में किचेन  गार्डेन तैयार करवाया है। साथ ही अपने घर में खाली पड़ी जमीन पर किचेन गार्डेन भी बनाए हुए है। इसमें तैयार सब्जियों में भरपूर पोषक तत्व मिलते हैं। इन दिनों धनिया, चना भाजी, नेनुआ, बोड़ा, भिंडी, बैगन, करैला उगाया जा रहा है। इसके अलावा सीजन के अनुसार यहां प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, गोभी आदि उगाई जाती है।
एनआरएलएम की जिला प्रबंधक प्रीति पूजा चैरसिया ने बताया कि मगरौल कलां गांव में 11 स्वयं सहायता समूह हैं। जैविक विधि से घरों में खाली पड़ी जमीनों व खेतों में सब्जियां उगाई जा रही हैं। इसके अलावा  अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी स्वयं रोजगार के लिए जागरूक किया जा रहा है। पोषण वाटिका व किचेन  गार्डेन लगाकर महिलाओं व उनके परिवारों में स्वास्थ्य और आर्थिक हालात में काफी सुधार आ गया है।
संगीता ने बताया कि बाजार में मिलने वाली सब्जियों में रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक हैं। इसलिए वह कभी  बाजार से सब्जी नहीं खरीदती। स्वास्थ्य के मद्देनजर किचेन गार्डेन में जैसा नाम वैसा काम की तर्ज पर पूर्णतः जैविक विधि से खेती की जाती है। यहां पैदा होने वाली सब्जियों में रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कतई नहीं किया जाता है।

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