बांदा मे यमुना नदी में पानी में तैर रहा है पत्थर, ऐसें पत्थरो से बना था रामसेतु
जनपद बांदा में कमासिन तहसील अंतर्गत लखनपुर गांव, यमुना नदी के किनारे बसा है। इसी गांव से बह रही यमुना नदी में तैरता हुआ..
जनपद बांदा में कमासिन तहसील अंतर्गत लखनपुर गांव, यमुना नदी के किनारे बसा है। इसी गांव से बह रही यमुना नदी में तैरता हुआ एक पत्थर मिला जो पूरे गांव के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। कुछ ग्रामीणों ने इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया, जिससे बड़ी संख्या में लोग इस पत्थर को पानी में तैरते हुए देखने की इच्छा से गांव पहुंच रहे हैं। कुछ लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं जबकि प्रशासन इस पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से बच रहा है।
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जनपद के कमासिन ब्लाक का यह गांव 5000 आबादी का है, लेकिन मतदाताओं की संख्या 2000 के लगभग है। जब से गांव के किनारे यमुना नदी में पत्थर तैरने का वीडियो वायरल हुआ, तब से गांव चर्चा में आया है। गांव के प्रधान रामनरेश ने बताया कि नदी के किनारे बरम बाबा का स्थान है। जहां कुछ पत्थर की मूर्तियों के साथ एक बड़ा सा पत्थर रखा हुआ था। लोग यमुना में स्नान करने के बाद यहां पर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं।
कुछ दिन पहले गांव के ही एक महात्मा ने उस पत्थर को ले जाकर यमुना नदी में साफ करना चाहा, लेकिन महात्मा जी उस समय आश्चर्यचकित रह गए जब पानी में डालते ही पत्थर तैरने लगा। जब इस बात की जानकारी ग्रामीणों को हुई तो उनके लिए यह पत्थर कौतूहल का विषय बन गया। तभी कुछ लोगों ने उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाल दिया। जिससे यह पत्थर और लखन लखनपुर गांव चर्चा में आ गया।
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ग्राम प्रधान ने कहा कि पत्थर की और सच्चाई क्या है इसके बारे में कुछ नहीं बता सकता, लेकिन यह सच है कि यहां बरम बाबा के नीचे यह पत्थर बरसों से रखा हुआ था। वही गांव के कुछ लोग प्रधान के बात से असहमत हैं। उनका कहना है कि यह पत्थर यमुना में बहकर आया था। जिसे एक युवक ने बहते हुए देखकर बाहर निकाला और फिर पानी में डाला जब पत्थर तैरता रहा। तब अन्य गांव वालों को जानकारी मिली।
इस बीच वीडियो वायरल होने पर तहसीलदार कमासिन ने जांच के लिए लेखपाल रामखेलावन को मौके पर भेजा था। लेखपाल ने मौके पर वीडियो बनाकर तहसीलदार को भेज दिया। इस बारे में तहसीलदार का कहना है कि वीडियो मैंने देखा है इसकी सच्चाई क्या है,यह जांच से ही पता चल सकता है।
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बताते चलें कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम की धर्मपत्नी माता सीता का रावण अपहरण करके लंका ले गया था। तब श्रीराम ने वानरों की सेना और नल नील की मदद से से 5 दिन में 30 किलोमीटर लंबा रामसेतु तैयार किया था। कहा जाता है कि नल नील ने जिन पत्थरों के सहारे रामसेतु तैयार किया वह पानी में तैर रहे थे। इसीलिए इस पत्थर को भी उन्हीं पत्थरों से जोड़कर देखा जा रहा है। जिससे लोगों में पत्थर के प्रति श्रद्धा स्वभाविक है।
इस बारे में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बांदा के कुलसचिव डॉ आशुतोष तिवारी ने बताया कि पानी में पत्थर घनत्व के कारण तैरता है अगर पत्थर का घनत्व पानी से ज्यादा होगा तो वह पानी में डूब जाता है, अगर घनत्व कम है तो पानी में तैरता रहता है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के पत्थर ऊपर से ठोस दिखाई देते हैं लेकिन इनमें हल्के हल्के छिद्र होते है, जिससे यह आसानी से पानी में तैरते रहते हैं।उन्होंने कहा कि अगर कोई इस तरह का पत्थर का टुकड़ा हो तो हम उसे माइक्रोस्कोप से देखकर बता सकते हैं यह पत्थर ठोस है या खोखला है। फिलहाल इस पत्थर की सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद हीपता चल सकती है।
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