कथावाचक ने नंद उत्सव, पूतना वध एवं गौसेवा पर व्याख्यान किया
क्षेत्र के खोहरा बाबा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पाँचवें दिन यजमान प्रभास्करदत्त द्विवेदी, पत्नी सुधा द्विवेदी...
जब ब्रह्म की उत्पत्ति हुई तब होता है शक्ति का उदय : पारासर
राजापुर (चित्रकूट)। क्षेत्र के खोहरा बाबा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पाँचवें दिन यजमान प्रभास्करदत्त द्विवेदी, पत्नी सुधा द्विवेदी व पुत्र दिवाकर द्विवेदी ने कथा प्रारम्भ होने से पहले व्यास गद्दी की पूजा अर्चना एवं आरती की। कथावाचक डॉ. श्यामसुन्दर पारासर जी महाराज वृन्दावन ने नंद उत्सव, पूतना वध एवं गौसेवा पर व्याख्यान किया।
सिद्ध आश्रम खोहरा बाबा के पास चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथावाचक डॉ. श्यामसुन्दर पारासर ने कहा कि जब ब्रह्म की उत्पत्ति होती है तो उसके साथ शक्ति का उदय होता है। गोकुल में शक्ति का उदय तथा मथुरा में वसुदेव देवकीनन्दन का उदय कंस के कारागार में होता है लेकिन गोकुल में नंद बाबा के घर प्रभु इच्छा से पहुंच जाते हैं और वहाँ सूर्योदय के बाद नंद के घर उत्सव होने लगता है और उधर मथुरा में आताताई कंस के द्वारा शक्ति का विनाश करने के पहले ही आदिशक्ति आकाश से नववाणी के द्वारा कंस के वध की बात पर विचलित होकर कंस ने गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए अनेकों प्रकार के राक्षसों का प्रयोग किया गया जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने वकासुर, अघासुर, अश्वासुर और पूतना जैसी राक्षसी का वध कर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें मोक्ष दिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल में रहकर अनेकों प्रकार की लीलाएँ किया जो जनमानस के लिए एक सीख है।
कथाव्यास पारासर महाराज ने गौसेवा का वर्णन करते हुए कहा है कि देवताओं की स्तुति करने पर गौमाता गोलोक से मृत्युलोक आई हैं। इनकी सेवा माता से भी बढ़कर मानी जाती है। राजा दिलीप की गौसेवा शास्त्रों में एक अद्वितीय सेवा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। परमात्मा ने राजा दिलीप की गौसेवा की परीक्षा लेने के लिए सिंह रूप धारण कर गौ माता पर आक्रमण करने ही वाला था कि राजा दिलीप ने माता गौ की रक्षा के लिए अपने प्राणों को देने के लिए जब सिंह के सम्मुख प्रस्तुत हुए तब प्रभु ने सिंह रूप त्यागकर राजा दिलीप की गौसेवा के लिए आशीर्वाद दिया था। कहा कि आज के समय में गौ सड़कों में निराश्रित घूम रही हैं और हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता है। समाज के हर परिवार को कम से कम गौसेवा के लिए एक गौ अपने घर को पवित्र एवं लक्ष्मी स्वरूपा मानकर पालना चाहिए और गौमूत्र व गोबर एक औषधि के रूप में भी माना जाता है और गौमाता के शरीर पर प्रतिदिन हाँथ रखने से मानव शरीर के अनेकों प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं और भारतवर्ष के अलावा अन्य देशों के लोगों को भी गौमाता के प्रति आस्था विश्वास होने लगा है।