नाना जी देशमुख की जयंती पर सिंगर कैलाश खेर बिखेरेंगे जलवा
पूरे देश से प्रबुद्ध लोग इस कार्यक्रम में जुड़ेंगे। सांस्कृतिक संध्या के लिए देश भर से प्रस्तुतियों के लिए नाम आ रहे हैं। उन्हें आयोजन समिति एकसूत्र में पिरोकर कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती।
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भारत रत्न नाना जी देशमुख उन समाजसेवियों में से हैं जिन्हें उनकी मृत्यु के बाद भी लोगों का स्नेह मिलता रहता है। आज अगर नाना जी देशमुख जीवित होते तो 104 वर्ष पूर्ण कर लिये होते। वे एक ऋषि थे, ऋषियों की भांति चित्रकूट की धरती पर रहे और यहां पर उन्होेंने वो कर दिखाया जिसके लिए पूरी सरकार का प्रयत्न भी कम पड़ जाता है। एक अकेले हाड़-मांस के मानव ने चित्रकूट को आत्मनिर्भरता का जो पाठ वर्षों पहले पढ़ाया था, उसे चित्रकूट वासी आज तक नहीं भूले हैं। चित्रकूट की धरती आज उनके कारण धन्य अनुभव करती है। उन्हीं की 104वां जन्मोत्सव शरद पूर्णिमा यानि 30 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इसे नाम दिया गया है ‘अनहद’। अनहद यानि जिसकी कोई हद न हो, सीमा से परे....। अनहद को अरबी शब्द हद से उत्पन्न किया गया है पर आज ये योगियों द्वारा ध्यान के लिए अनाहत नाद के लिए अधिक प्रयुक्त होता है। एक विशेषण के रूप में इसे ब्रह्म या ईश्वर के रूप में भी देखते हैं।
नाना जी की पुत्रवधू व ‘अनहद’ की सूत्रधार डाॅ. नन्दिता पाठक ने बुन्देलखण्ड न्यूज को बताया कि प्रत्येक वर्ष शरद पूर्णिमा को राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख की जयंती बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती थी। इस वर्ष भी मनाई जायेगी पर कोरोना के कारण उपजी विषम परिस्थितियों के कारण इसे सरकारी गाइडलाइन के अनुपालन में आनलाइन मनाया जायेगा। पर इस आनलाइन व्यवस्था में भी बहुत कुछ खास होगा। यह पूरा कार्यक्रम प्रसिद्ध सिंगर कैलाश खेर और देश-विदेश की तमाम गणमान्य विभूतियों की उपस्थिति में खास होने वाला है।
पूरे देश से प्रबुद्ध लोग इस कार्यक्रम में जुड़ेंगे। सांस्कृतिक संध्या के लिए देश भर से प्रस्तुतियों के लिए नाम आ रहे हैं। उन्हें आयोजन समिति एकसूत्र में पिरोकर कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती।
अनहद की कमान संभाले के. वेंकट कृष्ण राव जोकि टूवर्ड्स बेटर इंडिया के कर्ताधर्ता हैं, वो बताते हैं कि आयोजन में पूरे देश से लोग प्रतिभाग करें इसके लिए पूरे देश से लोगों को आयोजन समिति में जोड़ा गया है। सभी लोग अपने-अपने स्तर से इस कार्यक्रम में सहयोग दे रहे हैं। ताकि नाना जी के जन्मोत्सव को यादगार बनाया जा सके। आखिर नाना जी ने ग्रामोदय और ग्राम स्वराज के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है, तो उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनके नाम पर पूरा देश एकसूत्र में ग्रामोदय व ग्राम स्वराज की बात करेगा।
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