जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों को अपनाना चाहिए : कथा व्यास

श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास बदरी प्रपन्नाचार्य ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते...

जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों को अपनाना चाहिए : कथा व्यास

कहा कि भगवद् नाम से भवसागर पार कर लेता है जीव 

चित्रकूट। श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास बदरी प्रपन्नाचार्य ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। 

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गुरुवार को मुख्यालय के तरौंहा स्थित रामलीला मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास बदरी प्रपन्नाचार्य ने श्रोताओं को बताया कि जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों को अपनाना चाहिए। कहा कि सत्संग में वह शक्ति है जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने सती चरित्र और धु्रव चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक बनाने का आह्वान किया। कथा व्यास ने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। कथा सुनकर श्रोतागण आध्यात्म में डूब गए। इस मौके पर मुख्य यजमान पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नीलम करवरिया, रामायण मेला के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, राजाबाबू पांडेय, माघेन्द्र द्विवेदी, आत्माराम करवरिया, मनोज गर्ग आदि श्रोतागण मौजूद रहे।

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