कामदगिरि पर्वत क्षेत्र को वर्ल्ड हेरीटेज बनाने का रखा प्रस्ताव

धर्मनगरी में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ  भव्य शोभा यात्रा से हुआ...

कामदगिरि पर्वत क्षेत्र को वर्ल्ड हेरीटेज बनाने का रखा प्रस्ताव

अलौकिक धरा है चित्रकूट, यहां साक्षात रहते भगवान: नरेन्द्रानंद

भव्य शोभायात्रा के साथ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

चित्रकूट। धर्मनगरी में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ  भव्य शोभा यात्रा से हुआ। वेदपाठी मंगल वेदमंत्रो का उच्चारण करते रहे। हाथी, घोड़े व सभी अखाड़ा के निशान के साथ शोभायात्रा रामघाट से कार्यक्रम स्थल आंनद रिसार्ट पहुंची। जहां शोभा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया।

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अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महराज ने किया। इस दौरान संतोषी अखाड़ा के महंत रामजी दास, दिगम्बर अखाड़ा के महंत दिव्य जीवन दास, निर्मोही अखाड़ा के अधिकारी दीपक दास, डॉ. रामनारायण त्रिपाठी गायत्री पीठ, महानिर्वाणी महंत आदित्य नारायण दास महाराज व कामदगिरि प्रमुख द्वार पीठम के महंत मदन गोपाल दास मौजूद रहे। इसके बाद प्रथम सत्र ’चित्रकूट की महिमा’ से शुरुआत हुई। जिसमें डॉ. रामनारायण त्रिपाठी ने कहा कि चित्रकूट के समान ब्रह्मांड में कोई तीर्थ नहीं। महिमा कहीं कवन विधि आजू, सुखसागर जहॉ कीन्ह निवासू। श्री राम के आने के पहले भी चित्रकूट उत्तम तीर्थ था। 52 शक्तिपीठों में सर्वश्रेष्ठ पीठ है। संपूर्ण नाभिक केंद्र बिंदु है। वृहद रामायण के अनुसार कामदगिरि में संपूर्ण देवता निवास करते हैं। दिगंबर अखाड़ा भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने कहा कि चित्रकूट अलौकिक है।

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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का साक्षात्कार यहीं पर हनुमान जी सहित गोस्वामी तुलसीदास को हुआ। औरंगजेब जैसा तानाशाह जो मंदिरों को तोड़ने वाला रहा हो वह यहां आकर जोड़ने वाला बन गया। संतोषी अखाड़ा के महंत रामजी दास महाराज ने कहा कि जहां संस्कृति है वही जीवन है। यही है सनातन धर्म का सार। विश्व की आध्यात्मिक भूमि चित्रकूट धाम है। संत मदन गोपाल दास महाराज ने कहा कि जय सत्य सनातन धर्म को ही जन्म देने वाली भूमि है। यह त्रिदेवों की कर्मस्थली है। उन्होंने सभी अखाड़ों के संतो को एक मंच पर लाने का प्रयास करने के लिए सम्मेलन के आयोजक डॉ. गोविंद नारायण त्रिपाठी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम कार्यालय समन्यवक डॉ. अश्विनी श्रीवास्तव ने मांग पत्र पढ़ते हुए कहा कि चित्रकूट धाम में श्री कामदगिरि पर्वत को वर्ल्ड हेरिटेज में लाने का प्रयास किया गया। जिसमें हनुमान धारा, रामघाट, गुप्त गोदावरी, भारत मिलाप, सती अनसूया व बाल्मिक आश्रम आदि को श्री राम के तपोस्थली के रूप में स्थापित किया जाए। 

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मुख्य अतिथि काशी सुमेरु पीठाधीश्वर नरेंद्रानंद गिरि महाराज ने कहा कि चित्रकूट अलौकिक धरा है। जहां साक्षात भगवान रहते हैं। इस धरा पर संत अपनी साधना के माध्यम से अंगुलिमाल जैसे व्यक्ति के जीवन का परिवर्तन हुआ। आज पूरे विश्व में भारत की जो स्थिति है एक तरफ विश्व पटल पर शक्ति का संदेश सनातन संस्कृति दे रही है तो वहीं दूसरी ओर सनातन को बदनाम करने के लिए तमाम कालनेमी व विधर्मी भारत की भूमि में हैं। उन्होंने चित्रकूट की इस धरा व कामदगिरी पर्वत को विश्व धरोहर के साथ लाने में अपनी सहमत प्रदान की। इसके पूर्व कार्यक्रम में सभी संतो व विशिष्ट अतिथि डॉ. परविंदर सिंह का कार्यक्रम संयोजक संदीप रिछारिया, समन्यवक आनंद सिंह पटेल, शानू गुप्ता, डॉ मनोज द्विवेदी, पूर्व विधायक दिनेश मिश्रा, गया प्रसाद द्विवेदी, सरस्वती सोनी, गुरु प्रसाद, मीडिया समन्वयक पुष्पराज कश्यप ने शाल व भगवान श्री कामतानाथ का चित्र भेटकर स्वागत किया।

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इस दौरान डॉ मंजीत गिल, साहित्यकार राकेश आर्य, डॉ. सपना गुप्ता, कुसुमलता केडिया, पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्र, जय श्री जोग, चंदन दीक्षित महाराज, पूर्व आईएएस डॉ जगन्नाथ सिंह, मीडिया सह समन्वयक रहमत अली आदि मौजूद रहे।'

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