नहर की जमीन पर कब्जा करने वालों को दी गई नोटिस, 2 दिन में कब्जा न हटाने पर चलेगा बुलडोजर
खेतों को पानी के लिए कई दशक पहले बनाई गई नहर जो अब नाला में तब्दील हो गई है। इस पर अपना दावा करते हुए सिंचाई...
खेतों को पानी के लिए कई दशक पहले बनाई गई नहर जो अब नाला में तब्दील हो गई है। इस पर अपना दावा करते हुए सिंचाई विभाग ने नहर के किनारे मकान बनाकर रहने वालों को नोटिस दी है और 2 दिन के अंदर अवैध कब्जा ना हटाने पर मकान ध्वस्त करने की चेतावनी दी है जिससे मोहल्ले में हड़कंप मच गया है। इस बारे में शहर के बिजली खेड़ा निवासी देवेश कुमार मोनू ने बताया कि नहर के किनारे 20 से 30 वर्षों पूर्व लोगों ने अपने अपने मकान बनवाए हैं।
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कई लोगों के आवास प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए हैं। यहां पर विधायक निधि द्वारा सड़क बनी है। जिनके मकान बने हैं सभी के नाम नगर पालिका में दर्ज हो चुके हैं। इसके बाद भी सिंचाई विभाग ने नहर के किनारे रहने वालों को नोटिस दे दी है। जिन्हें सिर्फ 2 दिन का समय दिया गया है। इसी तरह मोहल्ले की जमुना देवी ने भी रोते हुए बताया की बड़ी मुश्किल से मेरा मकान बना है। अगर मकान गिर गया तो हम कहां जाएंगे।
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बताते चलें कि सिंचाई विभाग में नाले में तब्दील हो गई नहर के आसपास जमीन हथियाने वाले लोगों को बरसों पहले नोटिस दी थी। बाद में यह नोटिस ठंडे बस्ते में चली गई। अब बरसो बाद एक बार फिर विभाग ने लोगों को नोटिस देकर अवैध कब्जा हटाने को कहां है। इसी नहर पटरी के किनारे कई सत्ता पक्ष के नेताओं व रसूखदार व्यक्तियों ने भी अवैध कब्जा कर रखा है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालांकि कुछ दिन पहले सपा के एक वरिष्ठ नेता पर प्रशासन का बुलडोजर चलाया गया था।
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शहर में तिंदवारी रोड स्थित मंडी समिति के पास से शांति नगर, इंदिरा नगर और आवास विकास ए ब्लाक होते हुए कृषि विश्वविद्यालय तक नहर बनी है। यह मवई-चहितारा माइनर में मिलती है। बाबा तालाब बाईपास रोड, डाडिन पुरवा और कोर्ट ऑफ वार्ड जमीन वाले किसान इससे सिंचाई करते थे, लेकिन यहां आबादी बसने के साथ ही विकास और निर्माण की अंधी दौड़ में नहर का अस्तित्व खतरे में पड़ गया। शांति नगर, इंदिरा नगर और आवास विकास में नहर की पटरी पर निर्माण हो गए। चर्च की तरफ पहले से दो पक्के नाले होने के बाद भी लोगों के घरों का गंदा पानी और सीवर नहर में जा रहा है। नहर पूरी तरह नाले में बदल गई है।
इस माइनर नंबर-एक की कुल लंबाई 3.8 किलोमीटर है। 1990 तक इस नहर से खरीफ में 43 हेक्टेयर और रबी में 45 हेक्टेयर की सींच होती रही है। यह नहर हेड से लेकर टेल तक 20 से 27 फीट चौड़ी है, लेकिन अब इसका उलट है। नहर को पाटकर नाला बना दिया गया है। इस बारे में विभाग का कहना है कि इंदिरा नगर से निकली कनवारा माइनर शहरी क्षेत्र में आ जाने से इसे उनका विभाग सफाई कार्यों में शामिल नहीं करता।कई बार अवैध कब्जाधारकों को नोटिस भी दी गई हैं।