मेडिकल स्टाफ की लापरवाही से चली गई नवजात बच्चे की जान, दीपावली के नाम पर मांगा था 1500 रुपए

बुंदेलखंड के जनपद बांदा में स्थित जिला महिला चिकित्सालय में मेडिकल स्टाफ की लापरवाही के चलते नवजात शिशु...

मेडिकल स्टाफ की लापरवाही से चली गई नवजात बच्चे की जान, दीपावली के नाम पर मांगा था 1500 रुपए

बुंदेलखंड के जनपद बांदा में स्थित जिला महिला चिकित्सालय में मेडिकल स्टाफ की लापरवाही के चलते नवजात शिशु का देर से इलाज शुरू हुआ। जिससे बच्चे ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पीड़ित परिवार ने इसके लिए मेडिकल स्टाफ को जिम्मेदार बताया और आरोप लगाया की स्टाफ ने दीपावली त्यौहार के नाम पर 15 सौ रुपए की मांग की थी। पैसा न देने पर इलाज करने में हीलाहवाली की गई। जिससे बच्चे की जान चली गई। इस मामले में सीएमएस ने जांच के आदेश दिए हैं।

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जनपद के नरैनी थाना अंतर्गत करतल कस्बे में रहने वाले बृजेश कुमार की पत्नी को दीपावली की रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरैनी में नॉर्मल डिलीवरी के दौरान पुत्र की प्राप्ति हुई। लेकिन वहां के डॉक्टरों ने बच्चे को देखने के बाद कहा कि इसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। उसे हिचकियां भी आ रही हैं, इसलिए इसे कहीं और ले जाकर दिखा दो।

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डॉक्टर की सलाह पर हम बच्चे को लेकर जिला महिला चिकित्सालय में आए। यहां के डॉक्टर ने बच्चे का चेकअप किया और कहा कि घबराने की बात नहीं है। बच्चा तुम्हारा ठीक हो जाएगा। इसी दौरान अस्पताल में मौजूद मेडिकल स्टाफ ने दीपावली त्योहार के नाम पर 15 सौ रुपए की मांग की। जब मैंने पैसा देने में असमर्थता व्यक्त की तो बच्चे के इलाज में टालमटोल शुरू की गई।डॉक्टर ने कहा कि अभी बाहर बैठो जब तुम्हें बुलाया जाएगा, तब आना।
काफी देर बाद जब मुझे बुलाया गया तो डॉक्टर ने सलाह दी कि इस बच्चे को प्रयागराज या कानपुर ले जाओ। तब मैंने कहा कि हम गरीब हैं, हमारे पास इलाज के लिए पैसा नहीं है। इस पर उन्होंने बच्चे को भर्ती करके इलाज शुरू किया, लेकिन तब तक काफी देर हो गई थी। जिससे बच्चे ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

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बताते चलें कि महिला चिकित्सालय में एसएनसीयू है जहां मशीन में नवजात बच्चों को रखा जाता है। सोमवार को यहां पर डॉ आदित्य सिंह ड्यूटी के दौरान बच्चे को भर्ती किया गया था। उस समय सारी औपचारिकता पूरी की गई थी। वहीं इस बारे में महिला चिकित्सालय की सीएमएस डॉ सुनीता सिंह का कहना है कि रात में मौजूद डॉक्टरों ने बच्चे का चेकअप करने के बाद उसे हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी थी।

इसके बाद भी पीड़ित अपने बच्चे को इलाज इसी अस्पताल में कराना चाहता था क्योंकि बच्चे की हालत काफी नाजुक थी। जिससे इलाज के दौरान उसे बचाया नहीं जा सका। उन्होंने स्टाफ द्वारा पैसे मांगने की बात सिरे से खारिज कर दी और कहा कि मैंने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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