हाईटेंशन लाइन में चिपक गया बंदर, तीन दिन बाद चमत्कार..
कहावत है कि जाकों राखे साईंया मार सकै न कोय यही कहावत एक बंदर के साथ भी चरितार्थ हुई है जो 33 के वी लाइन के करंट में..
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सागर,
कहावत है कि जाकों राखे साईंया मार सकै न कोय यही कहावत एक बंदर के साथ भी चरितार्थ हुई है जो 33 के वी लाइन के करंट में चिपकने के बाद भी जिंदा बच गया। जिस लाइन का करंट इंसान को पांच फीट दूर से ही खींच लेता है उसी लाइन में यह बंदर तीन दिन तक लटका रहा और मंगलवार को जब उस पर नजर पड़ते ही नीचे उतारा तो पानी पीकर और फल खाकर दौड़ने लगा।
तेंदूखेड़ा निवासी गजराज पाल मंगलवार को अपने खेत जा रहे थे तब उनकी नजर 33 के वी लाइन में लटके बंदर पर पड़ी तो उन्होंने उप वनमंडलाधिकारी रेखा पटैल को सूचना दी। उपवनमंडल अधिकारी ने तत्काल वीटगार्ड संदीप ठाकुर को मौके पर भेजा। जिन्होंने ग्रामीणों की मदद से बंदर को उचकाया तो वह लाइन से नीचे आ गिरा। जिससे सभी ने सोचा कि शायद बंदर की मौत हो गई, लेकिन पास जाकर देखा तो वह जिंदा था। वनकर्मी ने उसे पानी पिलाया और फल खिलाये और उसके उपचार के लिये डॉक्टर की व्यवस्था कर ही रहे थे तभी बंदर दौड़कर भाग निकला।
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गजराज पाल ने बताया कि 33 के वी लाइन पर बंदर कैसे चढ़ा और पिछले तीन दिनों से तार पर लटका रहा और करंट से उसकी मौत नहीं हुई यह सोचने की बात है। बंदर को पत्थर मारते हुए भगाने का प्रयास किया और लाठियां दिखाई तो वह नीचे कूद गया और पूरी तरह सुरक्षति बच गया। जबकि बंदर को देखने वालों ने यह कह दिया था कि बंदर की मौत हो चुकी है।
बंदर पठाघाट के समीप से निकली 33 के वी लाइन पर तीन दिनों से भूखा प्यासा लटका रहा। घटना देखने वाले किसानों ने बताया कि रविवार के दिन दर्जनों बंदर लाइन के टावर पर चढ़े थे और उन्ही ने इस बन्दर को वहां से भगाया था जिसके बाद बंदर लाइन पर चला गया था आज तीसरे दिन बंदर नीचे आया है। बंदर के चारो पैर करेंट में जल गए, लेकिन वह सुरक्षति और जीवित बच गया यह भगवान की कृपा है।
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