बेरहम हुई महोबा पुलिस, युवक के प्राइवेट पार्ट में ईंट बांधकर, दी अमानवीय सजा

महोबा जिले में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। जुर्म कबूल करवाने के लिए पुलिस ने युवक के प्राइवेट पार्ट पर...

बेरहम हुई महोबा पुलिस, युवक के प्राइवेट पार्ट में ईंट बांधकर, दी अमानवीय सजा

महोबा जिले में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। जुर्म कबूल करवाने के लिए पुलिस ने युवक के प्राइवेट पार्ट पर ईंट बांधकर बेरहमी से उसकी पिटाई कर दी। जिससे युवक की हालत बिगड़ गई। पुलिस ने चोरी के आरोप में युवक को 14 मई को घर से उठा लिया। फिर 4 दिन तक उसे कोतवाली में रखा और थर्ड डिग्री दी। 

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कोतवाली क्षेत्र के नथूपुरा गांव निवासी पीड़ित की बहन सरस्वती ने एसपी व मानवाधिकार आयोग को भेजी शिकायत में बताया कि 14 मई को शहर कोतवाली पुलिस उसके घर आई और भाई राजेंद्र को पकड़कर ले गई। चार दिन तब कोतवाली में रखा गया। इस दौरान पुलिस ने थर्ड डिग्री इस्तेमाल कर राजेंद्र को बेरहमी से पीटा। साथ ही उसके प्राईवेट पार्ट में ईंट बांधकर सजा दी गई। इसके बाद वह चलने.फिरने में असमर्थ हो गया और इसी हालत में उसे जेल भेज दिया।

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 22 मई को जेल में युवक के प्राइवेट पार्ट में दर्द और सूजन की शिकायत हो गई। तब अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में शिकायती पत्र देकर पुलिस हिरासत में की गई मारपीट की शिकायत की। इस पर कोर्ट ने 3 डॉक्टरों के पैनल से उसका मेडिकल परीक्षण कराया। जिसमें उसकी हालत को गंभीर देखते हुए उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। इसके बाद युवक का झांसी में 4 दिन इलाज चला। फिर 26 मई को उसको महोबा जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। उसकी मेडिकल रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट में भेजी गई है।

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पीड़ित युवक की बहन ने बताया कि मेरे भाई के प्राइवेट पार्ट में ईंट बांधकर उसे सजा दी गई। जिससे वह चलने फिरने में भी असमर्थ हो गया। बहन ने बताया- भाई को 5 दिन तक थाने में बैठाए रखा। पीड़ित की बहन सरस्वती ने बताया,14 मई की रात मेरे 20 साल के भाई राजेंद्र को शहर कोतवाली पुलिस उठाकर ले गई। वहां उसे 4 दिन तक थाने में रखा गया। थाने के अंदर थर्ड डिग्री इस्तेमाल कर मेरे भाई को बेरहमी से मारा-पीटा गया। साथ ही उसके प्राइवेट पार्ट में ईंट बांधकर सजा दी गई। इससे वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गया। इसके बाद उसे इसी हालत में जेल भेज दिया। उसने बताया, मेरे भाई को इस कदर मारा-पीटा कि 2 दिन तक वह लघुशंका तक नहीं कर पाया। 22 मई को जेल के अंदर उसकी तबीयत बिगड़ी। तब हमने वकील के द्वारा कोर्ट में एप्लिकेशन देकर पुलिस हिरासत में उसके साथ हुई मारपीट को लेकर लिखित शिकायत की।

पीड़ित के वकील महेश प्रजापति ने बताया कि 14 मई को पीड़ित के परिवार ने बेवजह पुलिस द्वारा युवक को उठाए जाने की बात बताई थी। इस पर हमने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उसके मुवक्किल के साथ मारपीट हो रही है। 24 घंटे से अधिक समय होने के बाद भी उसे पुलिस कस्टडी में रखा गया है। इसके बावजूद उसके ऊपर जुल्म किए गए। फिर उसे जेल भेजने की कार्रवाई की गई। वकील ने बताया कि कोतवाली के अंदर युवक के प्राइवेट पार्ट में ईंट लटका कर उसे अमानवीय यातनाएं दी गई हैं। ताज्जुब की बात है कि पुलिस ने जो डॉक्टरी परीक्षण जेल भेजने के पहले कराया था, उसमें नो इंजरी लिखा हुआ था। लेकिन पीड़ित की हालत बता रही थी कि उसके साथ मारपीट हुई है। जिससे वह चलने-फिरने लायक भी नहीं था।

इस पूरे मामले को लेकर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. पवन अग्रवाल बताते हैं कि कोर्ट के आदेश पर तीन डॉक्टरों का पैनल बना कर पीड़ित का मेडिकल परीक्षण कराया गया। उसकी हालत को गंभीर देख कर उसे झांसी मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया। उन्होंने बताया कि उसके प्राइवेट पार्ट में समस्या हो गई थी, जिसके इलाज के लिए यहां कोई डॉक्टर नहीं है। इसलिए उसे झांसी मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया। मेडिकल की रिपोर्ट कोर्ट को भेजी गई है।
वहीं, सीओ सिटी राम प्रवेश राय ने बताया कि पीड़ित के आरोप गलत हैं। जेल भेजने से पहले उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया था। जिसमें कहीं भी चोट के निशान नहीं हैं। 

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