बुन्देलखंड में असाध्य बीमारी के लिए रामबाण है कठिया गेहूं की दलिया

बुन्देलखंड क्षेत्र में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर इस बार किसानों ने कठिया गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर दी है...

बुन्देलखंड में असाध्य बीमारी के लिए रामबाण है कठिया गेहूं की दलिया

ऊबड़ खाबड़ जमीन पर किसानों ने की कठिया गेहूं की खेती की तैयारी

हमीरपुर। बुन्देलखंड क्षेत्र में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर इस बार किसानों ने कठिया गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर दी है। कठिया गेहूं के दलिया की बाजार में बढ़ती डिमांड के कारण अबकी बार किसानों ने इसकी खेती का दायरा भी बढ़ाया है।

बुन्देलखंड के चित्रकूट धाम बांदा मंडल के हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट के अलावा अन्य ग्रामीण इलाकों में किसी जमाने में कठिया गेहूं की खेती बड़े स्तर पर होती थी। कम पानी और लागत में होने वाली कठिया गेहूं की खेती छोटे और बड़े काश्तकार करते रहे हैं। लेकिन मोटा मुनाफा देने वाली गेहूं की तमाम प्रजातियां आ जाने के कारण कठिया गेहूं की खेती का ग्राफ नीचे गिरता चला गया।

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हमीरपुर समेत समूचे क्षेत्र में तीन फीसदी किसान ही इसकी खेती कर रहे हैं। गेहूं की तमाम प्रजातियां आने के बाद भी औषधीय गुणों के कारण बुन्देलखंड क्षेत्र में कठिया गेहूं की पहचान देश और विदेश में है। इस अनाज का उत्पादन भी प्रकृति के भरोसे ही होता है। जोताई कर कठिया गेहूं के बीज डालने के बाद प्राकृतिक तत्वों की मदद से इसकी फसल खेतों में लहलहाती है।

खास बात तो यह है कि कठिया गेहूं का उत्पादन ऊबड़ खाबड़ जमीन पर होता है। इसकी फसल को केवल एक पानी की ही जरूरत पड़ती है। भारतीय किसान यूनियन के मंडलीय नेता संतोष सिंह ने बताया कि कठिया गेहूं की पैदावार किसी जमाने में किसान बड़े क्षेत्रफल में करते थे लेकिन अब इसकी पैदावार का ग्राफ नीचे गिरा है। उन्होंने बताया कि एक बीघे जमीन में सिर्फ डेढ़ क्विंटल ही कठिया गेहूं पैदा होता है जबकि गेहूं की अन्य प्रजातियों से एक बीघे में सात से दस क्विंटल तक की पैदावार होती है।

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क्षेत्र में तीन फीसदी ही होती है कठिया गेहूं की पैदावार

कृषि विभाग के उपनिदेशक हरीशंकर भार्गव ने बताया कि हमीरपुर समेत बुन्देलखंड के चित्रकूट धाम मंडल में अब तीन फीसदी ही कठिया गेहूं की पैदावार किसान करते हैं। फसल भी वहीं होती है जहां नदियों के किनारे ऊबड़ खाबड़ खेत होते हैं। बिना रसायनिक खाद के इस अनाज की पैदावार किसान कर रहे हैं। बताया कि बुन्देलखंड के इलाकों में कठिया गेहूं की पैदावार कम होने के कारण ये बाजार में काफी महंगे दामों में बिकता है। बताया कि हमीरपुर के ही सुमेरपुर, गोहांड, सरीला, राठ व कुरारा क्षेत्र के कई गांवों में किसान खाने के लिए इस अनाज की खेती कर रहे हैं।

चिकित्सक डाॅ.दिलीप त्रिपाठी, डाॅ.आत्मप्रकाश व डाॅ.बीके श्रीवास्तव ने बताया कि असाध्य बीमारी के लिए कठिया गेहूं की दलिया बहुत मुफीद होती है। कोलाइटिस और कुपोषण के लिए इस अनाज की दलिया रामबाण है। दलिया खाने से सेहत सुधरती है। साथ डायबिटीज ही जैसी बीमारी में भी बड़ा आराम मिलता है।

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कृषि वैज्ञानिक डाॅ.एसपी सोनकर ने बताया कि कठिया गेहूं की दलिया नियमित खाने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है। पेट में कोई भी बीमारी जन्म नहीं लेती। उन्होंने बताया कि बुन्देलखंड क्षेत्र में अब किसान इस अनाज की खेती के तरफ कदम बढ़ाए हैं।

हिन्दुस्थान समाचार

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