छात्र अनुशासन एवं सहभागिता से समाज व देश का करें विकास- आनन्दी बेन पटेल
जल की समस्या एक विकराल समस्या है, इस समस्या से छुटकारा पाने को सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।प्राकृतिक संसाधनो का दोहन मुख्य कारण....
जल की समस्या एक विकराल समस्या है, इस समस्या से छुटकारा पाने को सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।प्राकृतिक संसाधनो का दोहन मुख्य कारण है।कृषि में जलवायु एवं उसके अनुकूल फसलो का चुनाव हमें स्वालम्बी बना सकता है। किसान भाई एवं कृषि वैज्ञानिक इस चुनौती को स्वीकार कर आगे बढने का प्रयास करें।
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यह बाते कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के कुलाधिपति एवं उत्तरप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंन्दी बेन पटेल बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा का षष्ठम दीक्षांत समारोह में आनलाईन अध्यक्षीय भाषण में कही।
उन्होने कहा कि उ.प्र. सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र के दृष्टिगत कई परियोजनाएं चलायी जा रही है। कृषि में कौशल विकास के लिए प्रयास करना समय की मांग है।देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ दोनो लोगो का प्रयास प्रायोगिक कृषि शिक्षा पर बल देना है।
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आज सभी डिग्री एवं पदक प्राप्त किये हुए छात्र देशहित में कृषि के क्षेत्र को आगे बढाये। वर्तमान में हम सभी का दायित्व है कि छात्रों को अच्छे संस्कार दे जिससे हमारी संस्कृति बच सकें।मै उन सभी छात्रो जिन्होने अपनी कड़ी मेहनत एवं अनुशासन में रहकर डिग्री प्राप्त की है, उन्हे बधाई देती हूॅ साथ ही आशा करती हूॅ कि वो अपने ज्ञान व अनुभव से कृषि के क्षेत्र को आधुनिक बनाने में मदद करेंगे।
कुलाधिपति ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति एवं समस्त विश्वविद्यालय परिवारको बधाई दी।साथ ही उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय ने विगत वर्षो में शिक्षा, शोध व प्रसार में गुणवत्ता पूर्वक कार्य किया है।कृषि विज्ञानकेन्द्रों के द्वारा प्रवासी मजदूरो को प्रशिक्षित कर उन्हे रोजगारोन्मुखी बनाना सराहनीय प्रयास है।वर्षा जल संचयन पर किया जा रहा कार्य सकारात्मक परिणाम देगा।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के जानेमाने कृषि वैज्ञानिक एवं पूर्वसचिव डेयर तथा पूर्व महानिदेशक आई0सी0ए0आर0, नईदिल्ली डा0 मंगलाराय ने अपने वर्चुअल संबोधन मे कहाकि यह विश्वविद्यालय बहुत तेजी से प्रगतिकररहाहै, डा0 गौतम के निर्देशन में विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध व प्रसार में सराहनीय कार्य कर रहा है।
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बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में कृषको को बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज उत्पादन एक सराहनीय कदम है।बुन्देलखण्ड के जैवविविधा के दृष्टिगत संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देना आवश्यक है।वैज्ञानिको के द्वारा तिल अलसी की प्रजाति का विकास एक सराहनीय कदम है।अन्र्तराष्ट्रीय बाजार में सफेद तिल की मांग को बुन्देलखण्ड से पूरा किया जा सकता है।
दीक्षांत समारोह मे पदक प्राप्त करनेवाले विभिन्न छात्र जिसमे कृषिस्नातक की छात्रा कु0 निधीचैहान को स्वर्णपदक, छात्र सोयलकुमार को रजतपदक तथा छात्र शैलेन्द्र सिहं को कास्य पदक प्रदान किया गया।उद्यानस्नातक के छात्र रूद्रप्रताप मिश्रा को स्वर्णपदक, अवनिश राठौर को रजत पदक तथा राममिलन को कास्य पदक प्रदान किया गया।कृषि परास्नातक वर्ग मे कु. शिखा दुवेको कुलपति स्वर्णपदक, चंद्रकान्त चैबे कुलपति रजतपदक तथा अनुजमिश्रा को कुलपति कास्य पदक तथा उद्यान वर्ग में मृत्युजंय राय को कुलपति स्वर्णपदक, सेतुकुमार कुलपति रजत पदक तथा आदर्शतिवारी को कुलपति कास्य पदक प्रदान किया गया।
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दीक्षान्त समारोह के विशिष्ट अतिथि मंत्री कृषि, कृषिशिक्षा एवं अनुसंधान सूर्यप्रताप शाही ने अपने वक्तव्य में कहा कि पशुधन एवं कृृषि विकास के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की गयीहै।हमें यह कहते हुए गर्वकी अनुभूति हो रही है कि विश्वविद्यालय, यहाॅ के कुलपति डा0 यू.एस. गौतम के नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यो की प्राप्ति कर रहा है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यू.एस. गौतम ने विश्वविद्यालय प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत की। उपाधि धारक सभी छात्रो ंको कुलपति द्वारा दीक्षोपदेश दिलवाया। प्रो0 पंवार द्वारा कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी अतिथियों का आभार प्रगटकियाकिार्यक्रम का संचालन सहायक प्रध्यापक डा. बी.के. गुप्ता ने किया।