भक्तों को परेशानी होती है तो प्रभु करते हैं संकट का निवारण : आचार्य

श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन भागवत कथा प्रवक्ता आचार्य नवलेश दीक्षित ने कपिल उपाख्यान, धुव्र चरित्र व शिव विवाह...

भक्तों को परेशानी होती है तो प्रभु करते हैं संकट का निवारण : आचार्य

श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कपिल उपाख्यान, धु्रव चरित्र, शिव विवाह की सुनाई कथा

चित्रकूट। श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन भागवत कथा प्रवक्ता आचार्य नवलेश दीक्षित ने कपिल उपाख्यान, धुव्र चरित्र व शिव विवाह की कथा का रसपान श्रोताओं को कराया।

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मुख्यालय के तरौंहा स्थित भारद्वाज आवास में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य नवलेश दीक्षित ने बताया कि भागवत भगवान ने सर्वप्रथम वांचा है। जिसे नारद मुनि ने सुना। नारद ने भगवान व्यास को सुनाया। व्यास जी ने शुकदेव व शुकदेव ने राजा परीक्षित को भागवत कथा श्रवण कराया। उन्होंने बताया कि नारद मुनि भगवान से मिलने के लिए आतुर थे। तीसरे जन्म पर भगवान ब्रह्मा के पुत्र के बाद नारायण से मिले। सर्वप्रथम भागवत बद्री नारायण ने सरस्वती नदी के किनारे लिखी गई। बताया कि कलियुग प्रथम चरण में है। कलियुग की आयु चार लाख 32 हजार वर्ष है। जब किसी भक्त को परेशानी होती है तो प्रभु संकट का निवारण करते हैं। उन्होंने धु्रव चरित्र के बारे में बताया कि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। भक्त की रक्षा के लिए प्रभु ने अवतार लिया था। शिव विवाह की कथा में बताया कि पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। इसके बाद शिव-पार्वती का विवाह हुआ। आरती के पश्चात भक्तों के बीच प्रसाद वितरित किया गया। 

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इस दौरान मुख्य यजमान राकेश भारद्वाज, धर्मपत्नी कामिनी, अनिल भारद्वाज, राजेश भारद्वाज, अनिल द्विवेदी, राम दयाल केशरवानी, पुष्पराज कश्यप, बद्री प्रसाद गुप्ता आदि श्रोतागण मौजूद रहे।

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