गल्ला व्यापारियों द्वारा योगी सरकार के अध्यादेश का विरोध

गल्ला व्यापारियों द्वारा योगी सरकार के अध्यादेश का विरोध

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और कारोबारी सुगमता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 46 फलों व सब्जियों को मंडी अधिनियम की अधिसूचना से बाहर कर दिया है जिससे इन पर अब किसी तरह का कोई मंडी शुल्क नहीं लगेगा। लेकिन सरकार के इस फैसले का गल्ला व्यापारियों ने विरोध करते हुए कहा कि यह अध्यादेश व्यापारियों के हित में नहीं हैं। 

इस संबंध में  बांदा के गल्ला व्यापारियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। इस ज्ञापन में कहा गया है कि अध्यादेश के द्वारा कृषक उपज मंडी समितियों के गल्ला दलहन तिलहन व सब्जी व्यापारियों को दो भागों में विभाजित कर दिया है। जो व्यापारियों के हित में नहीं है,सभी व्यापारी जो एपीएमसी के यार्ड के अंदर के व्यापारी हैं और किसानों का कृषि उपज खरीद बिक्री करेंगे उन्हीं से 1.5 प्रतिशत मंडी शुल्क एवं 0. 5  प्रतिशत मंडी शुल्क देना पड़ेगा एवं मंडी यार्ड के बाहर केवल पी ए एन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति किसानों का कृषि उपज खरीद बिक्री करेगा उसे कोई मंडी शुल्क व सेस देय नहीं है।

इस अध्यादेश की मूल भावना है कि पूरे देश में किसानों के कृषि उपज की खरीद बिक्री पर किसी प्रकार की कोई फीस व सेस देय नहीं होना चाहिए। परंतु मंडी यार्ड के अंदर व्यापारियों पर 2प्रतिशत फीस व सेस अवधारित कर दिया गया है।आने वाले समय में मंडी यार्ड के अंदर के व्यापारी बाहर का रुख अपनाएंगे और किसान वर्ग इस मंडी यार्ड का रास्ता भी भूल जाएंगे।यार्ड के अंदर की दुकाने, गोदाम व चबूतरे सभी खाली हो जाएंगे।जब मंडी यार्ड के अंदर किसान ही नहीं आएगा तो खाली व्यापारी भी वहां से पलायन कर जाएगा। जिससे बहुत बड़ी आर्थिक क्षति होगी। पूरे देश में लॉक डाउन चल रहा है, इस समय भी पूरे प्रदेश के व्यापारी परेशान हैं व नुकसान पर हैं। बदलाव से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा इस संबंध में व्यापारियों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रधानमंत्री जी की किसानों की आय दोगुनी करने के वादे को ध्यान में रखते हुए मंडी यार्ड को बाहर व अंदर के कृषि उपज के व्यापारियों पर समान रूप से किसी भी प्रकार की कोई मंडी शुल्क व सेस को समाप्त कर अध्यादेश को समान रूप से लागू किया जाए।

किसानों की आय बढेगी

इससे किसानों की आय दोगुनी करने, कृषि उपज की बिक्री को सुलभ बनाने और कारोबारी सुगमता के उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके तहत प्रदेश में आम, केला, लौकी, कद्दू, तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा, संतरा समेत 46 फलों और सब्जियों के व्यापार करने पर कोई मंडी शुल्क नहीं लगेगा। व्यापारियों और प्रसंस्करण इकाइयों को किसान ये उत्पाद बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। वे सीधे उपभोक्ताओं को भी इनकी बिक्री कर सकेंगे। इतना ही नहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश में कहीं भी बिक्री कर उचित मूल्य ले सकेंगे।  

मंडी अधिनियम में संशोधन 

इन संशोधनों के बाद प्रदेश में 53 तरह के फल व सब्जियों में सिर्फ आलू, प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन, मिर्च और नींबू के कारोबार पर ही मंडी शुल्क देना होगा।मंडी अधिनियम की धारा 7 (2)(ख) में संशोधन कर विशिष्ट प्रकार के लाइसेंसी व्यापारियों व विपणन स्थलों को मंडी परिषद के बाहर भी किसानों से उत्पाद खरीदने और बाहर भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है धारा (7) (क) में वेयरहाउस, साइलो और शीतगृह जैसे स्थानों को मंडी उप स्थल घोषित करने की व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के कदम उठाए गए हैं। अधिनियम की धारा 9 (क) के अधीन एकीकृत लाइसेंस में क्रय स्थलों की विवरण की पूर्व अनुमति के स्थान पर क्रय स्थानों के बारे में मात्र सूचनाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।

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