श्री कृष्ण व सुदामा की मित्रता का किया बखान
एसडीएम कालोनी मे विगत सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा मंगलवार को बड़े हर्षोल्लास...
कथाव्यास ने भगवान के अनेक विवाहों का वर्णन किया
चित्रकूट(संवाददाता)। एसडीएम कालोनी मे विगत सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा मंगलवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ हुई। प्रयागराज से पधारे कथाव्यास आचार्य बालकृष्ण भार्गव महाराज ने भगवान के अनेक विवाहों का वर्णन किया। उन्होने बताया कि भगवान कृष्ण की जो आठ मुख्य पटरानियां वो अष्टधा प्रकृति हैं और सोलह हजार एक सौ पत्नियॉ वेद की ऋचाएं है। जो गृहस्थो के लिए हैं, साथ ही उन्होने बताया कि भगवान उन सारी कन्याओं को असहाय समझकर शरण दिया। जिससे समाज को वर्णसंकर दोष से बचाया गया, आज की सबसे बडी समस्या है विवाह की व्यवस्था, लोग मनमानी ढंग से विवाह कर रहे हैं अपने वर्ण एवं जाति से पृथक होकर जिससे होने वाली संताने वर्णसंकर होती है वह न तो अपनी पिता की सुनते हैं और न मॉ की। एक तीसरी प्रजाति तैयार होती है जिससे समाज मे असभ्यता आती है। सुदामा जी का पावन चरित्र सुनाकर भगवान की ब्राम्हण भक्ति को उजागर किया एवं एक मित्र के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए बताया। अंत मे शुकदेव राजा परीक्षित के अंतिम उपदेश के साथ मोक्ष तक की कथा सुनाकर भक्तों को आनंदित किया। एसडीएम कालोनी मे चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का पावन विश्राम हुआ।
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इस अवसर पर चित्रकूट के अनेक संस्कृत के मूर्धन्य विद्वानों सहित शिवकल्याण पांडेय, वेदप्रकाश पांडेय, हिन्दू युवावाहिनी के जिलाध्यक्ष प्रदीप शुक्ल, कथा के आयोजक सहित श्रोताओं का समूह मौजूद रहा।