बाँदा : दस दिन से अनशन में बैठे ग्रामीणों को नहीं मिला न्याय, उग्र आंदोलन की चेतावनी

तहसीलदार बांदा, चकबंदी लेखपाल ,हल्का लेखपाल, कानूनगो व ग्राम प्रधान द्वारा मिलकर बिना नोटिस ग्रामीणों के मकानों को ध्वस्त करने का मामला तूल पकड़ रहा है। पीड़ित व्यक्ति पिछले 10 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं लेकिन न्याय नही मिला।जिससे एक समाज सेविका ने इनका समर्थन करते हुए उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
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पथरिया खदान मजरा हटेटी पुरवा के ग्रामीण मकानों को नाजायज तरीके से गिराने के विरोध में पिछले दस दिनों से अशोक लाट कचहरी तिराहे पर अनशन पर डटे हैं। प्रशासन से आवासीय पट्टों सहित मकानों की क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वह दो दशक से ग्राम समाज की जमीन पर काबिज हैं। सात माह पूर्व तहसीलदार व लेखपाल पुलिस संग पहुंचे और बिना नोटिस के उनके मकानों को गिरा दिया गया, जबकि प्रकरण हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
अफसरों ने आवासीय भूमि मुहैया कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। 17 जून को पुनः प्रधान व लेखपाल बुलडोजर लेकर पहुंचे और टिनशेड आदि उखाड़ फेंके।बुधवार को सिटी मजिस्ट्रेट केशव कुमार व तहसीलदार ने अनशन स्थल पर पहुंचकर आवासीय पट्टा दिलाने का आश्वासन दिया था, पर अनशन खत्म नहीं किया।
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अनशनकारियों का कहना है उन्हें आश्वासन नहीं जमीन चाहिए।इधर अनशन के नौवें दिन दुलरिया व चुन्ना की हालत बिगड़ गई, उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वही आज समाज सेविका शालिनी पटेल उनके समर्थन में कूद पडी।
उन्होने बताया 23 तारीख से बराबर यह अनशन पर बैठे हैं किसी प्रकार का कोई मदद नहीं की गई।इस सम्बन्ध में जिलाधकारी को दिये गए शिकायत पत्र में कहा गया है कि तीन दिन में अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन करेंगे जिसका जिम्मेदार जिला प्रशासन खुद होगा।
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