बांदाःअवैध शस्त्र बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़, 5-6 हजार में बिकते थे तमंचे
जिले की बिसंडा पुलिस ने अवैध शस्त्र बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर यहां से पांच निर्मित तीन अर्द्ध निर्मित अवैध तमंचों सहित एक दर्जन से ज्यादा कारतूस, खोखा व भारी मात्रा में शस्त्र ...
जिले की बिसंडा पुलिस ने अवैध शस्त्र बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर यहां से पांच निर्मित तीन अर्द्ध निर्मित अवैध तमंचों सहित एक दर्जन से ज्यादा कारतूस, खोखा व भारी मात्रा में शस्त्र बनाने के उपकरण बरामद किया हैं। इस सिलसिले में एक व्यक्ति को पकड़ा गया है। जो तमंचे बनाकर आसपास के जनपदों में 5 से 6 हजार रुपए में बेचता था। पुलिस अधीक्षक ने इस गुड वर्क के लिए पुलिस टीम को 25 हजार रुपए का इनाम दिया है।
यह भी पढ़े:हमीरपुरः हिन्दू नायब तहसीलदार के धर्मपरिवर्तन के मामले में बड़ी कार्रवाई, मौलाना व महिला समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल ने बताया कि बुधवार को सवेरे जानकारी मिली कि बिसंडा थाना क्षेत्र के बिसंडी गांव में एक व्यक्ति द्वारा अवैध शस्त्र बनाने की फैक्ट्री का संचालन और बनाए गए असलहों की बिक्री की जा रही है। इस सूचना के आधार पर बिसंडा पुलिस ने दबिश दिया और इसी गांव के अमर वर्मा पुत्र भक्त वर्मा को हिरासत में लेने के बाद इसके घर की तलाशी ली गई। जहां पांच निर्मित, तीन अर्द्ध निर्मित 315, 312 और 332 बोर के तमंचे बरामद हुए। साथ ही एक दर्जन कारतूस और भारी मात्रा में शस्त्र बनाने के उपकरण धौंकनी, ड्रिल मशीन,ग्राइंडर मशीन, छेनी, नोहाई, हथौड़ा छोटा/बड़ा, आरी, रेती स्प्रिंग, ब्लेड बरामद किया गया।
यह भी पढ़े:बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री लवेरिया लेटरों से परेशान होकर सेहरा सजाने को तैयार, ये होंगी दुल्हन
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पकड़ा गया अभियुक्त बनाए गए थे तमंचों को आसपास के जिलों में 5 से 6 हजार रुपए में अपराधियों को बेच देता था। अभियुक्त ने जिन अपराधियों को तमंचे बेचे हैं। उनका पता लगाया जा रहा है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही आरोपी के पुराने इतिहास को भी खंगाला जा रहा है। जिसके आधार पर इसके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस गुड वर्क के लिए बिसण्डा पुलिस की पूरी टीम को पुरस्कार के रूप में 25000 रुपए दिए जा रहे हैं।
यह भी पढ़े:ब्रिटिश काल से चली आ रही इस ट्रेन के पूजन की परंपरा, तीसरी पीढी में भी परंपरा बरकरार