ब्रिटिश काल से चली आ रही इस ट्रेन के पूजन की परंपरा, तीसरी पीढी में भी परंपरा बरकरार
जनपद बांदा में स्थित अतर्रा रेलवे स्टेशन में ब्रिटिश काल से प्रयागराज झांसी पैसेंजर ट्रेन की पूजा करने की परंपरा आज भी बरकरार है। सोमवार को जब यह ट्रेन रेलवे स्टेशन पहुंची, वैसे ही ...
बांदा,
जनपद बांदा में स्थित अतर्रा रेलवे स्टेशन में ब्रिटिश काल से प्रयागराज झांसी पैसेंजर ट्रेन की पूजा करने की परंपरा आज भी बरकरार है। सोमवार को जब यह ट्रेन रेलवे स्टेशन पहुंची, वैसे ही बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने ट्रेन के इंजन में पहुंचकर फूल मालाओं से सजा दिया। इसके बाद नारियल फोड़ कर पूजा आरती की। साथ ही ट्रेन के चालक, गार्ड और यात्रियों का भी अभूतपूर्व स्वागत किया गया।
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ब्रिटिश काल में जब अतर्रा में रेलवे स्टेशन बना और 25 दिसंबर को पहली बार इस स्टेशन में प्रयागराज झांसी पैसेंजर गुजरी। तब इस कस्बे के सुदामा पुरी मोहल्ले के निवासी बिंदा प्रसाद ने ट्रेन के आने पर अपनी खुशी का इजहार करते हुए मोहल्ले के तमाम साथियों के साथ मिलकर ट्रेन की पूजा अर्चना की और स्टाफ का स्वागत किया था। इसके बाद यह परंपरा साल दर साल जारी रही। बिंदा प्रसाद जब तक जीवित रहे तब तक उन्होंने इस परंपरा को बरकरार रखा। उनके निधन के बाद यह जिम्मेदारी उनके बेटे किशोरी लाल ने पूरी की। अब किशोरी लाल के सुपौत्र राम जी सेंगर ने यह जिम्मेदारी संभाल ली है।
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सोमवार को अतर्रा रेलवे स्टेशन में ट्रेन के आने पर अतर्रा के दर्जनों लोगों की मौजूदगी में ट्रेन का पूजन किया गया। ट्रेन का पूजन बिंदा प्रसाद के सुपौत्र राम जी सेंगर ने किया। इसके बाद ट्रेन के ड्राइवर राजेंद्र कुमार, सहायक देव कुमार गार्ड अभय सिंह व अतर्रा रेलवे स्टेशन मास्टर रामनारायण कुशवाहा को फूल मालाओं से लादकर उनका मुंह मीठा कराया गया। इतना ही नहीं ट्रेन में सवार अधिकांश यात्रियों को गुलाब का फूल देकर अभूतपूर्व ढंग से स्वागत किया गया। अपने स्वागत से गदगद ट्रेन के स्टाफ ने कहा कि उन्हें रेलवे की नौकरी करते हुए वर्षों गुजर गए, लेकिन जिस अभूतपूर्व ढंग से अतर्रा के निवासी ट्रेन का स्वागत करते हैं, ऐसा कहीं देखने को नहीं मिला। ट्रेन के स्वागत के दौरान राजा भैया, राजेंद्र चौरसिया, त्रिभुवन सिंह, बृजेश सेंगर, अरविंद पटेल, राजा अलबेला व मनोज सेंगर सहित कस्बे के दर्जनों लोग शामिल रहे।
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