भाजपाइयों ने आपातकाल के विरोध में निकाला मौन जुलूस

भाजपा ने कांग्रेस सरकार के दौरान देश में थोपे गये लोकतंत्र की हत्या के षड़यंत्र आपातकाल दिवस 25 जून...

भाजपाइयों ने आपातकाल के विरोध में निकाला मौन जुलूस

सम्मानित किए गए मीसाबंदी

चित्रकूट(संवाददाता)। भाजपा ने कांग्रेस सरकार के दौरान देश में थोपे गये लोकतंत्र की हत्या के षड़यंत्र आपातकाल दिवस 25 जून को लोकतन्त्र सेनानी सम्मान समारोह कार्यक्रम सर्किट हाउस सभागार में जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी की अध्यक्षता मे आयोजित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी व पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्रों पर पुष्पार्चन कर किया। मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय, जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी, पूर्व जिलाध्यक्ष चन्द्र प्रकाश खरे, दिनेश तिवारी, डीसीबी अध्यक्ष पंकज अग्रवाल, आलोक पांडेय, भागवत त्रिपाठी ने लोकतंत्र सेनानियों को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर संघर्षों को नमन किया। लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह व संगोष्ठी के पश्चात कार्यकर्ताओं ने काली पट्टी बांधकर सर्किट हाउस से सरदार पटेल मूर्ति चौराहे तक मौन जुलूस निकाला। पूर्व राज्य मंत्री ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल लोकतंत्र की हत्या है। कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या कर लोकतंत्र को बंधुआ बनाने की बदनीयत से आपातकाल लगाया था। लोकतंत्र सेनानी राम प्रकाश द्विवेदी ने कहा कि वो आपातकाल के विरोध में जब सक्रिय थे तो नवयुवक थे।

कांग्रेस के उत्पीड़न, प्रताड़ना को झेलकर मीसा कानून के तहत जेल में बंद रहकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए अनेको लोगों ने संकल्पित प्रयास किए। लोकतंत्र सेनानी ननकू राम राजपूत ने कहा कि आपातकाल में कांग्रेस और इंदिरा गांधी व गांधी परिवार के खिलाफ कुछ भी बोलना अपराध था। आपातकाल में सरकार ने प्रेस पर पाबंदी लगा थी। लोकतंत्र रक्षक रामपाल त्रिपाठी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने अपने अवैध निर्वाचन के निरस्त होने के कारण देश को आपातकाल के अंधेरे में झोक दिया था। लोकतंत्र सेनानी भागीरथी ने कहा कि वह सदा गलत के विरोध में खड़ा रहे हैं। जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए काँग्रेस के विरोध में पूरा देश खडा हो गया था। कार्यक्रम में आनन्द पटेल, विपुल सिंह, ब्रजेश पांडेय, महेन्द्र कोटार्य, रामबाबू गुप्ता, तीरथ तिवारी, मनोज तिवारी, अखिलेश रैकवार, प्रेमलाल बाल्मीकी, दिव्या त्रिपाठी, हेमन्त प्रताप, सच्चिदानंद गर्ग, श्रवण पटेल, सुनील गर्ग, पवन बद्री, राम प्रताप, विनीत पयाशी आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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