ऑटो चालक दशरथ की बेटी गांव फौजी बनकर लौटी, तो पूरा गांव..
देश में बुंदेलखंड की पहचान अशिक्षा, गरीबी और सूखा के कारण है, लेकिन इन दिनों यह इलाका छतरपुर जिले के गढ़ा गांव..
देश में बुंदेलखंड की पहचान अशिक्षा, गरीबी और सूखा के कारण है, लेकिन इन दिनों यह इलाका छतरपुर जिले के गढ़ा गांव के ऑटो चालक दशरथ आदिवासी की बेटी सविता के फौज में शामिल हो गई हैं। सविता जब फौजी बनने के बाद पहली बार अपने गांव पहुंची तो यहां का नजारा उत्सव जैसा था और यहां सविता का जोरदार स्वागत किया गया।
छतरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा की बेटी सविता आदिवासी भारतीय सेना में भर्ती हुई और जब वह अपनी ट्रेनिंग पूरी करके पहली बार गांव आई तो गांव वालों ने उसे सिर आंखों पर बैठा लिया। गढ़ा के दशरथ आदिवासी टैक्सी चलाते हैं उनका सपना रहा है कि बेटी पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी में जाए। वही सविता की इच्छा सेना में जाकर देश की सेवा करने की रही और दोनों का यह सपना पूरा हुआ।
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सविता आदिवासी का चयन इंडियन आर्मी में हुआ और उसके बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए राजस्थान के अलवर जिला के मौजपुर बुलाया गया। सविता 8 महीने की ट्रेनिंग पूरी कर जैसे ही अपने गांव पहुंची तो हर कोई उनके स्वागत को आतुर था। सविता के गांव की सीमा पर पहुंचने से पहले लोग उसके स्वागत के लिए खड़े थे और उसके पहुंचते ही बेंड बजने लगे और लोग उसे मालाएं पहनाने लगे तो कहीं महिलाओं ने उसे टीका भी लगाया।
सविता जब वहां पहुंची तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने जैसे ही अपने पिता को देखा तो उनके गले लग गई। बेटी और पिता के इस भाव पूर्ण मिलन को देखकर हर किसी की आंखें नम हो गई। इस छोटे से गांव की पहली बेटी के भारतीय सेना में शामिल होने के बाद गांव वाले अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं तो वहीं फौजी बिटिया का हृदय भी गांव वालों के स्नेह और स्वागत से गदगद हो गया।
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