एक सड़क जो कभी मुद्दा हुआ करती थी ! 

सड़क मूवी आपने देखी होगी। बड़ी फेमस मूवी थी। उस मूवी के तलबगार अभी भी खूब हैं पर हम आपको जनपद चित्रकूट की सड़क मूवी दिखाना चाहते हैं। यह मूवी बसपा - सपा शासनकाल से बनना शुरू होती है और भाजपा शासनकाल में पर्दे पर चल पड़ती है...

Jul 8, 2020 - 14:57
Jul 17, 2020 - 16:09
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एक सड़क जो कभी मुद्दा हुआ करती थी ! 
Road Issue Chitrakoot
चित्रकूट
सपा शासनकाल में कर्वी - राजापुर सड़क कभी मुद्दा हुआ करती थी और अब गड्ढे गुहार मार रहे हैं , ना मलहम हो रहा - ना पट्टी ना सड़क को नए वस्त्र पहनाए जा रहे हैं। बेचारी नग्न सड़क हाय - तौबा कर रही है और माननीय के टायर सस्पेंशन के सहारे उसको रौंदते हुए निकल जाते हैं। 
एक समय था। जब भाजपाई सड़क पर घोटाले और घोटाले पर सड़क की चर्चा करते थे। उनको चिंता रहती थी कि अरे राम - राम क्या हाल बना दिया है कि बैलगाड़ी भी बेचारी चल नहीं पाती ! और बाइक चलें तो उनकी चेचिस टूट जाती है , मेरी खुद की चोरी हुई बाइक की चेचिस टूट गई थी। और चोरी हुई बाइक भी पुलिस प्रशासन बरामद नहीं कर सका जो भाजपा शासनकाल में ही पिछले वर्ष चोरी हुई थी। 

उस वक्त सबकी जुबान मे था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था ऐसी सड़क बनवाऊंगा कि बोनट पर पानी से भरा हुआ गिलास रखकर तेज रफ्तार मे चलोगे और जल छलककर गिरेगा नहीं। जब यह सड़क बनी इससे पहले घोटाले का शिकार बसपा शासनकाल मे हुई थी। फिर सपा शासनकाल मे भी लंबे समय तक सड़क निर्माण जारी रहा तब तक जनता की कमर दर्द करने लगी थी। 
भाजपा को यह सड़क लगभग बनी - बनाई मिल गई थी। धीरे-धीरे इस सड़क पर चिघ्घाड़ते हुए ट्रक चलने लगे , बाईपास बना नहीं और अब तक लगभग दो सैकड़ा से ज्यादा जान सड़क दुर्घटना में यह सड़क बलि ले चुकी है। आए दिन ट्रक की टक्कर से बिजली के खंभे टूटने से पहाड़ी कस्बा लगभग ढाई वर्ष से लगातार बिजली की भारी समस्या का सामना करता रहा है। 
इस सड़क पर जब - जब गड्ढे भरे भी गए तब तक इतनी देर हो चुकी होती है कि मलहम - पट्टी फौरन उखड़कर किनारे हो जाते हैं और फिर गड्ढा काल की तरह जीवित हो उठता है। लंबे समय से कस्बा पहाड़ी के अंदर गड्ढा तालाब बनने की उन्नति की ओर अग्रसर है , कुछ नहीं तो छोटी - मोटी झुमरी तिलैया तो बन गई है। 
इस झुमरी तिलैया से भारी भरकम ट्रक गुजरते हैं और ट्रैफिक जाम की समस्या ऊपर से रहती है। लेकिन अब यह सड़क मुद्दा नहीं है। चूंकि साहब - नेता जी की सफारी , फार्चुनर और क्रिस्टा में सस्पेंशन लगा होता है। 
यह समझ मे नहीं आता कि इनका दिल धड़कता है या नहीं ! जहाँ एक ओर जनता चिकनी - चमेली सड़क चाहती है वहाँ झुमरी तिलैया से जबरन मुहब्बत करने को मजबूर है , जैसे ही बिना सस्पेंशन वाली जनता गुजरती है वैसे ही बस मूव दर्दनाशक की याद आती है। ऊपर से साइकिल और बाइक मे खर्चा अलग आ जाता है। तमाम निजी वाहन सड़क के स्लो प्वाइजन का शिकार हो रहे हैं कि एक दिन ऊबड - खाबड़ से गुजरते हुए कुछ ना कुछ तबाह हो ही जाता है , फिर मरम्मत में मेहनत की कमाई छू हो जाती है। 
माननीयों को हृदय की आंखो से देखना चाहिए और संवेदनशीलता से सीसी रोड या डामरीकरण ही सही कम से कम युद्ध स्तर पर कार्य कर जनता को एक अच्छी सड़क नसीब कराएं , जिससे नाक के नसीब में नाक कटने का अध्याय समाप्त हो सके। 
यह वही मार्ग है , जहाँ से अक्सर माननीय लखनऊ के लिए चालान कटाते हैं अर्थात गुजर जाते हैं और उनको सड़क की बदहाली नजर नहीं आई या फिर कागजों में बन रही होगी अर्थात बनने वाली होगी। काश वह दिन आ जाए कि यह सड़क मुद्दा बन जाए और माननीय वर्ल्ड क्लास सड़क बनवा दें। 
देखते हैं कब बहुरेंगे दिन , कब बनेगी सड़क बहू जो नई दूल्हन की तरह सजकर तैयार होगी कि जनता कह सके कि हमारी सड़क बहूरानी आदर्श बहू है पर क्या संभव है कि एक अच्छी सड़क मिल पाएगी ? कर्वी - राजापुर मार्ग व बाईपास बनना जनहित मे है। सड़क का निर्माण अंतिम पंक्ति के आदमी के विकास की पहली सीढ़ी है। कम से कम एक ईमानदार सड़क ही बनवा दो , जिसकी ईमानदारी की दाद दी जा सके।

लेखक: सौरभ द्विवेदी, समाचार विश्लेषक

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