एसटीएफ के 6 कमांडो व एक मुखबिर की सामूहिक हत्या के मामले में सभी 13 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा
उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में 15 साल पहले एसटीएफ के 6 कमांडो व एक मुखबिर की सामूहिक हत्या और अंधाधुंध गोलियां चलाकर..
बांदा,
उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में 15 साल पहले एसटीएफ के 6 कमांडो व एक मुखबिर की सामूहिक हत्या और अंधाधुंध गोलियां चलाकर 9 जवानों और एक मुखबिर को डाकू ठोकिया और उसके साथियों ने घायल कर दिया था। इस नरसंहार के मामले में 15 साल तक न्यायालय में सुनवाई हुई गुरुवार को न्यायधीश नूपुर ने इसमें आरोपी सभी 13 डकैतों को दोषी माना और सभी को आजीवन कारावास की सजा दी।
न्यायालय ने इन्हें अलग-अलग धाराओं में सजा दी है सभी सजाएं एक साथ चलेंगी एसटीएफ ने दस्यु सरगना ददुआ को मुठभेड़ के दौरान 21 जुलाई 2017 को मार गिराया था इसके बाद एसटीएफ के कमांडो अपनी टीम के साथ अगले दिन वापस आ रहे थे। तभी बांदा जनपद के फतेहगंज थाना क्षेत्र के बघोलन तिराहे के पास डाकू अंबिका पटेल ने अपने साथियों के साथ 22 जुलाई 2007 की रात घात लगाकर एसटीएफ की टीम पर हमला कर दिया।
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डकैतों की फायरिंग में गोली लगने से एसटीएफ के 6 जवान और और एक मुखबिर की मौत हो गई थी। इस घटना में 9 एसटीएफ के जवान तथा एक मुखबिर घायल हुआ था। यह मामला पिछले 15 वर्षों से बांदा की अदालत में चल रहा था। इस मुकदमे का तेजी से निस्तारण करने के लिए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश भी जारी किए गए थे। इस बारे में अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता राम कुमार सिंह ने बताया कि विशेष न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित क्षेत्र) नूपुर ने इस मामले में सभी अभियुक्तों को दोषी पाते हुए बराबर सजा दी है।
जिन अभियुक्तों को सजा दी गई है उनमें धर्मेंद्र प्रताप सिंह उर्फ नरेंद्र उर्फ धर्मेंद्र भदोरिया उर्फ भैया उर्फ धर्मेंद्र सिंह, रामबाबू पटेल, किशोरी पटेल ,कल्याण सिंह पटेल, धनीराम शिव नरेश पटेल, नत्थू पटेल, अशोक पटेल उर्फ अंग्रेज पटेल, चुनूबाद पटेल, देव शरण पटेल, ज्ञान सिंह शंकर सिंह पटेल तथा राम प्रसाद विश्वकर्मा शामिल है। इन्हें धारा 302 के अंतर्गत आजीवन कारावास, 307/149 में आजीवन कारावास 147 में 2 वर्ष ,148 में 3 वर्ष की सजा दी गई है, सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। बताते चलें कि इस हत्याकांड में 16 डकैतों को पुलिस ने नामजद किया था। इनमें अब तक तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है। 12 आरोपी चित्रकूट और एक हमीरपुर की जेल में बंद है।
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