झांसी-मानिकपुर के बीच 310 किलोमीटर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण में मिट्टी बनी गले की फांस
झांसी रेलवे ट्रैक दोहरीकरण के लिए मिट्टी का इंतजाम करने की जिम्मेदारी रेल अभियंताओं के गले आ पड़ी है..
झांसी रेलवे ट्रैक दोहरीकरण के लिए मिट्टी का इंतजाम करने की जिम्मेदारी रेल अभियंताओं के गले आ पड़ी है। मिट्टी के लिए रेल अभियंता सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। रेल अभियंताओं की निगाह मनरेगा से तैयार हो रहे अमृत सरोवर से निकली मिट्टी पर टिकी है। झांसी-मानिकपुर के बीच करीब 310 किलोमीटर के बीच रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का काम चल रहा है। करीब 250 करोड़ की लागत से हो रहा यह काम एजेंसियों को सौंपा जा चुका।
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करार में कार्यदायी एजेंसी को ट्रैक में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जुटाने की जिम्मेदारी थी लेकिन, रेलवे ने निर्माणाधीन ट्रैक के लिए मिट्टी जुटाने का काम अपने अभियंताओं को सौंप दिया। रेल अफसरों का कहना है केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजना को देखकर यह फैसला किया गया। इससे निकली मिट्टी का इस्तेमाल निर्माणाधीन रेलवे ट्रैक पर किया जाएगा। रेलवे का मकसद इसके जरिए पैसों की बचत करना है लेकिन, यह नया काम रेल अभियंताओं के लिए सिरदर्द बन गया है।
अब मिट्टी जुटाने के लिए रेल अभियंता ब्लॉक कार्यालय से लेकर विकास भवन के चक्कर काट रहे हैं। पिछले कई दिनों से चक्कर काटने के बाद भी मिट्टी का इंतजाम नहीं हो सका है। रेल अभियंताओं का कहना है कि चुरारा, रमपुरा, बमौरी सुहागी एवं भकौरा साइट के पास मिट्टी चाहिए लेकिन, यहां कोई अमृत सरोवर ही नहीं बन रहे। ऐसे में उनको मिट्टी मिल पाना भी मुश्किल हो गया। वहीं, मनरेगा डीसी राम अवतार का कहना है कि रेलवे की ओर से पत्र मिला है।
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