चित्रकूट : ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाली योजना का घोटालेबाज निकला नगर पालिका चेयरमैन
बसपा सरकार में मऊ बरगढ़ पेयजल योजना में घोटाला करने वाले ठेकेदार और जल निगम के अधिकारियों पर आर्थिक अपराध अनुसंधान..
बसपा सरकार में मऊ बरगढ़ पेयजल योजना में घोटाला करने वाले ठेकेदार और जल निगम के अधिकारियों पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन लखनऊ में एफ आई आर दर्ज कराई है।जिन 22 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है उनमें नगर पालिका चेयरमैन नरेंद्र गुप्ता भी शामिल है।जिसने जांच से बचने के लिए भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था।
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नगर पालिका के चेयरमैन और ठेकेदार नरेंद्र गुप्ता ने ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाली पेयजल योजना में बिना काम किए ही करोड़ों रुपए निकाल कर गबन किया गया।इस ठेकेदार ने इसी सरकारी धन का इस्तेमाल बिंदीराम होटल के निर्माण में किया साथ ही कई प्लाट भी गबन की गई संपत्ति से खरीदे गए। बताया जाता है कि इसके होटल में देह व्यापार जैसे घृणित कार्यों की आशंका भी स्थानीय लोगों द्वारा व्यक्त की गई लेकिन सत्ता की हनक के चलते वह अपने आप को बचाता रहा और होटल में चल रहे देह व्यापार पर भी पर्दा डालने की कोशिश की।
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बताते चले कि यूपी सरकार के निर्देश पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने चित्रकूट के मऊ व बरगढ़ पेयजल योजना में हुई करोड़ों की अनियमितता के मामले में जल निगम के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरके वाजपेयी, एके सिंह, आरके त्रिपाठी, गिरीश चंद्र व एमसी श्रीवास्तव समेत 22 आरोपितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है।वर्ष 2010-11 व वर्ष 2011-12 में संचालित योजना का काम समय से पूरा नहीं किया गया था और उसमें धांधली की गई थी। शासन ने पूर्व में इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। जांच में अनियमितता के साक्ष्य मिलने के बाद प्रकरण में एफआईआर दर्ज किए जाने की सिफारिश की गई थी, जिसे शासन ने मंजूरी दे दी।
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डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने बताया कि प्रकरण की जांच में सामने आया कि निर्माण कार्य में जल निगम की निर्माण एवं विद्युत यांत्रिक इकाई के साथ उप्र पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अधिकारियों ने निर्माण कार्य में कोई रुचि नहीं ली थी।अनुबंधित फर्म मैसर्स जिंदल वाटर इंफ्रा इस्ट्रक्चर लिमिटेड व ठेकेदार नरेंद्र कुमार गुप्ता को धनराशि का भुगतान कर कार्य कराने में अधिकारियों व फर्म ने कोई रुचि नहीं ली। बिना वाटर की सप्लाई हुए ही बड़ी संख्या में वाटर मीटर की खरीद की गई। जांच में प्रथम दृष्टया 20,43,91,616 रुपये की शासकीय धनराशि के गबन की बात सामने आई है।
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ईओडब्ल्यू ने मामले में आरोपित जल निगम के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरके वाजपेयी, एके सिंह, आरके त्रिपाठी, गिरीश चंद्र व एमसी श्रीवास्तव, जल निगम अस्थायी निर्माण इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर विनय पाल सिंह, आशाराम आर्या, राम बिहारी, सहायक अभियंता एके भारतीय, बीबी निरंजन, जल निगम विद्युत यांत्रिक बांदा के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता एके अवस्थी, ओपी पांडेय, पीएन श्रीवास्तव, एसपी सिंह, जल निगम विद्युत यांत्रिक के तत्कालीन चित्रकूट के तत्कालीन अभियंता जेपी सिंह, सहायक अभियंता यशवीर सिंह, डीके सिंह, उप्र पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता अंकुर यादव, राजमणि विश्वकर्मा, जिंदल वाटर इंफ्रा इस्ट्रक्चर लिमिटेड के मुख्य अधिशाषी अधिकारी ऋषभ सेट्ठी, दिल्ली निवासी प्रबंध निदेशक ज्ञान बंसल व ठेकेदार चित्रकूट निवासी नरेंद्र कुमार गुप्ता के विरुद्ध गबन, षड्यंत्र व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है