बांदा में कृषकों ने लिया संकल्प ’पराली नही जलायेगे, हरियाली को बचायगे’
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम इकाई द्वारा गोद लिए गाँव मवई बुजुर्ग में वैज्ञानिको द्वारा रबी फसल की बुआई से पहले पराली न जलाने की अपील की गयी।
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम इकाई द्वारा गोद लिए गाँव मवई बुजुर्ग में वैज्ञानिको द्वारा रबी फसल की बुआई से पहले पराली न जलाने की अपील की गयी। जिस पर कृषकों ने पराली नही जलाने का संकल्प लिया।
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राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई-एक के कार्यक्रम अधिकारी व सहायक प्राध्यापक डा० ओम प्रकाश ने राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत गोद लिए गाँव मवई बुजुर्ग में इसके लिये कृषको से संवाद स्थपित कर उचित कारगर उपाय तथा कृषि प्रबंधन के बारे में बताया। वैज्ञानिको का मुख्य उद्देश्य उससे होने वाले मृदा, वातावरण तथा जीव जन्तुओ के स्वास्थ्य पर होने वाले हानिकारक प्रभाव के बारे मे बताना तथा जागरूक करना था। विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा किसानों से पराली न जलाने के लिये एक नारा ’’पराली नही जलायेगे, हरियाली को बचायगे’’ का संकल्प दिलाया।
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कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के कुलपति, डॉ. यू.एस. गौतम ने कृषको से अपील की कि अपने खेत मे पराली का प्रबंधन कम्पोस्ट व केचुआं खाद बनाने के रूप मे करें। डा. गौतम ने कहा कि पराली प्रबंधन हेतु वेस्ट डिकम्पोजर अच्छा कार्य करता है। कृषको भी इसे अपनाना चाहिये। राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के नेतृत्व में चलाये जा रहे कोविड-19 एवं पराली न जलाने की अपील जागरूकता कार्यक्रम के सफलता पूर्वक कार्य करने पर वैज्ञानिको को बधाई भी दी।इसी के क्रम में कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा मवई बुर्जुग में कोविड-19 जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया।