पुत्रों की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने व्रत रख, हरछठ की पूजा अर्चना की
भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी (हरछठ) के रूप में मनाया जाता है। शनिवार को महिलाओं ने संतान की लंबी उम्र एवं स्वस्थ..
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भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी (हरछठ) के रूप में मनाया जाता है। शनिवार को महिलाओं ने संतान की लंबी उम्र एवं स्वस्थ जीवन की कामना को लेकर व्रत रखा। घर-घर में पूजा अर्चना कर पाठ किया और ईश्वर से संतान की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की।
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शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जी का जन्म हुआ था। उनका प्रमुख शस्त्र हल तथा मूसल है, इस कारण इस दिन को हलषष्ठी कहा जाता है।
पारंपरिक मान्यता के अनुसार इस दिन पुत्रवती महिलाएं व्रत रखकर पलाश, ढ़ाक तथा कुश के नीचे भगवान शिव, माता पार्वती एवं गणेश जी की पूजा करती हैं। ताकि उनके पुत्र को स्वस्थ रखने के साथ लंबी आयु प्राप्त हो। बेटे की कुशलता के लिए माताओं में सुबह से उत्साह देखने को मिला। विधिवत पूजा अर्चन करने के साथ दिन भर व्रत धारण किया।
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हलछठ के दिन विधि-विधान से पूजा करने के बाद भैंस का दूध, दही, मक्खन, घी, महुआ एवं पसई के चावल की खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है। जबकि हल से जोता गया एवं बोया गया अनाज खाना वर्जित माना गया है। गाय के दूध का सेवन भी इस दिन नहीं करना चाहिए। पसई के चावल जुते हुए खेत में नहीं उगते, इसलिए इसे खाने का विधान है।
हलषष्ठी के पर्व को लेकर शहर के महाराणा प्रताप चौराहा,महेश्वरी देवी चौक बलखण्डी नाका समेत विभिन्न चौराहों पर मुख्य स्थानों पर त्योहार की सामग्री बिकने वाले स्थानो पर भीड़ रही। सात प्रकार के धान्य, भुने चना, महुआ की दातून, महुआ के पत्तों से बने दोने, महुआ के फल, कुश की फूलदार सींक की दुकानें बाजार में सजी रहीं। वही सुबह से अनाज को भूंजने वाली भट्टियों में लोगों को भीड़ रही।
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