बुंदेलों ने श्रृद्धाभाव के साथ की ऐतिहासिक गोरखगिरि परिक्रमा

पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शनिवार को ऐतिहासिक गोरखगिरि की परिक्रमा भक्तों के द्वारा श्रृद्धा, भक्ति व रामधुन के साथ की...

बुंदेलों ने श्रृद्धाभाव के साथ की ऐतिहासिक गोरखगिरि परिक्रमा

महोबा। पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शनिवार को ऐतिहासिक गोरखगिरि की परिक्रमा भक्तों के द्वारा श्रृद्धा, भक्ति व रामधुन के साथ की गई है। परिक्रमा शिव ताण्डव मन्दिर से प्रारम्भ होकर पठवा के बाल हनुमान मन्दिर, रामजानकी मन्दिर, कबीर आश्रम, काली माता, छोटी चन्द्रिका माता, राम दरबार, पुलिस लाईन से होते हुये नागौरिया मन्दिर, बालाजी मन्दिर, काल भैरव मन्दिर होते हुये शिवताण्डव में आकर समाप्त हुई।

जनपद मुख्यालय स्थित गोरखगिरी पर्वत की भक्तों के द्वारा श्रद्धा भाव के साथ शनिवार को परिक्रमा की गई।परिक्रमा के बाद शिव ताण्डव परिसर में भजन, कीर्तन, सत्संग हुआ। सत्संग में समाजसेवी शिवकुमार गोस्वामी ने कहा कि कलियुग में रामनाम भय से पार कराने में सहायक है। वीरभूमि महा विद्यालय के पूर्व प्रवक्ता डॉ. एलसी अनुरागी ने कहा कि गोरखगिरि में 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान राम लखन सीता इस पर्वत पर आये, प्रभु के चरण इस पर्वत पर पड़ने से यह पर्वत कामदगिरि की भांति मनोकामनायें पूर्ण करने वाला हो गया है।

अवधेश तिवारी ने श्रीमद भागवत के 12वें अध्याय भक्ति योग के 10वें श्लोक की व्याख्या करते हुये कहा कि जो प्रम पूर्वक परमात्मा की सेवा करने में निरन्तर लगे रहते हैं उन्हें प्रभु ज्ञान प्रदान करते हैं। जिससे जीव प्रभु तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि इस श्लाक को ‘तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्। ददामि बुद्धियोग तं येन मामुपयान्ति ते। भक्तों को याद कर लेना चाहिये। भक्त आशीष पूरवार, हरीशंकर नायक, गौरी शंकर कोष्ठा, राकेश चौरसिया, पप्पू सेन, परशुराम अनुरागी, संतोष, चन्द्रभान श्रीवास, बहादुर अनुरागी, विनोद आदि भक्तगण मौजूद रहे हैं। परिक्रमा के बाद प्रसाद वितरित किया गया और गुरु गोरखनाथ के जयकारे लगाये गये।

हिन्दुस्थान समाचार

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