महामाई मन्दिर का करीब ढ़ाई सौ साल पहले हुआ था निर्माण 

शहर के दक्षिण भाग में स्थित महामाई मंदिर की वजह से ही इस मोहल्ले का नाम मढ़िया नाका पडा। कहा जाता है कि यहां मंदिर का निर्माण...

Oct 23, 2020 - 17:14
Oct 23, 2020 - 18:47
 0  2
महामाई मन्दिर का करीब ढ़ाई सौ साल पहले हुआ था निर्माण 
महामाई मन्दिर, बाँदा

शहर के दक्षिण भाग में स्थित महामाई मंदिर की वजह से ही इस मोहल्ले का नाम मढ़िया नाका पडा। कहा जाता है कि यहां मंदिर का निर्माण करीब ढ़ाई सौ साल पहले हुआ था। जैसे महेश्वरी देवी की मूर्तियां खुदाई के बाद धरती में प्रकट हुई थी। ठीक इसी तरह सन् 1799 में महामाई की मूर्ति धरती के गर्भ से प्रकट हुई थी।

यह भी पढ़ें - बाँदा : कटरा में एक ऐसा मंदिर जहां रहता था सर्पों का वास

सबसे पहले बाँदा नवाब ने मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में 1932 में बचैली श्रीवास्तव व गौसे मोहम्मद ने मिलकर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था और वर्षों यही दोनों हिन्दू-मुस्लिम एकता का बीजारोपण करके देवी जी की उपासना करते रहे।

इस मन्दिर में शेर आता था

लोघा कुआँ मोहल्ले में स्थित चैसठ जोगनी मंदिर तहसील बाँदा के अभिलेखों में ‘जोगिया डाढ’ के नाम से दर्ज है। यहाँ सैकड़ो साल पहले जंगल था। बाम्बेश्वर पहाड़ नजदीक होने से अक्सर ‘शेर’ दिखाई देता था जो मंदिर में घंटो बैठा रहता था। लेकिन बाद में यहां के बाशिंदो ने शेर की हत्या करके कलेक्टर को सौंप दिया था। बुजुर्गो का मानना है कि शेर देवी जी के दर्शन को आता था।

यह भी पढ़ें - मराठा शासक ने बनवाया था बाँदा में काली देवी मंदिर

इस देवी की सौगन्ध खाते है लोग

जनपद बांदा की सीमा से लगे म0प्र0 के चांदी पाटी गांव में एक पहाड़ियां के ऊपर पुतरिया देवी का प्राचीन मंदिर है। पूरे गांव के लोगां ने इसे मंदिर के प्रति गहरी आस्था है लोग उनकी नाम की सौगन्ध खाते है। हर साल नवरात्रि में यहां मेला लगता है जहां आसपास के गांवों के लोग पहुंचकर मत्था टेकते है। ग्रामीणों ने बताया कि इस मंदिर में कोई भी व्यक्ति झूठी कसमें नहीं खाता है।

यह भी पढ़ें - खत्री पहाड़ : नंदबाबा की बेटी ने इस पर्वत को दिया था कोढी होने का श्राप

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0