गांजा की बड़ी खेप हर माह आती है बांदा, पुलिस क्यों रही बेखबर ?

बुन्देलखण्ड के जनपद बांदा में मादक पदार्थों का धंधा वर्षों से फल-फूल रहा है और गांजे की बड़ी खेप हर महीने बांदा आती है इसके बाद भी पुलिस बेखबर रही..

गांजा की बड़ी खेप हर माह आती है बांदा, पुलिस क्यों रही बेखबर ?

बुंदेलखंड के जनपद बांदा में मादक पदार्थों का धंधा वर्षों से फल-फूल रहा है और गांजे की बड़ी खेप हर महीने बांदा आती है। इसके बाद भी पुलिस बेखबर रही जबकि एसटीएफ लखनऊ की टीम ने तस्करों के गिरोह का भंडाफोड़ कर 200 किलो गांजा बरामद करने में सफलता हासिल की।  गिरोह के मुख्य कर्ताधर्ता मोहित निगम का एक बार फिर नाम सामने आया है, जिसे 2 माह पहले 33 किलो गांजा सहित पकड़ा गया था।

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बांदा में मादक पदार्थों की तस्करी का मामला नया नहीं है। यहां एक बड़ा गिरोह सक्रिय है, जिसके तार उड़ीसा से लेकर मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के कई जनपदों से जुडे है।

उड़ीसा से लाया जाता है गांजा

एसटीएफ द्वारा पकड़े गए गिरोह के सरगना समसुद्दीन निवासी नवाब टैंक के मुताबिक गांजे की खेप उड़ीसा  के संबलपुर जिले से आती है इस जिले में नेंटा नाम का व्यक्ति है। जिसका मोबाइल नंबर 73 6283 6572 है से गांजे की खरीद-फरोख्त की जाती है और इसके बाद गांजा छुपा कर बांदा लाया जाता  है।उसने बताया कि बांदा में मोहित निगम व राजेंद्र प्रजापति को हम गांजा की खेप पहुंचाते हैं और मोहित निगम बाद में बुंदेलखंड के जनपदों में सप्लाई करता है।

मध्य प्रदेश का राजू पार्टनर

समसुद्दीन के मुताबिक उसके इस धंधे में कई अन्य लोग शामिल हैं, जिसमें मध्यप्रदेश के पन्ना जनपद का राजू उर्फ राजेंद्र प्रसाद गुप्ता पुत्र कन्हैयालाल गुप्ता शामिल है। जो पन्ना के मोहनपुरा मोहल्ले का रहने वाला है।  वह हमारे धंधे में बराबर का पार्टनर है।

मोहित निगम दो माह पूर्व पकड़ा गया था

शहर के महादेव पेट्रोल पंप गंगानगर के पास रहने वाला मोहित निगम पुत्र अशोक निगम इस धंधे में बरसों से लिप्त बताया जा रहा है। इसी वर्ष जुलाई के महीने में पुलिस ने महोखर बाईपास के जमनी पुरवा में चार लग्जरी गाड़ियां बरामद की थी इन गाड़ियों की सीट के नीचे गांजा के पैकेट छुपा कर रखे गए थे जिन्हें पुलिस ने बरामद किया था।

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33 किलो गांजा के साथ मोहित निगम के अलावा मतोला वर्मा पुत्र भोला निवासी बरसड़ा बुजुर्ग गिरवा, किशन यादव पुत्र रघुवीर यादव निवासी बिजली खेड़ा, रमेश रैकवार पुत्र ननकू निवासी सूतर खाना, अनूप तिवारी पुत्र प्रशांत तिवारी निवासी इंगोहटा भरुआ सुमेरपुर, शिव विलास पुत्र मुन्नीलाल निवासी गोखिया  अतर्रा को गिरफ्तार किया गया था। इनके पास गाड़ियों के कागज भी नहीं मिले थे। इस घटना के बाद पुलिस ने इन तस्करों को छुआ तक नहीं।

पुलिस जानकर क्यों बनी अनजान

मोहित  निगम और उसके साथियों के  पास से चार लग्जरी गाड़ियां बरामद हुई थी। जिससे पुलिस को अंदाजा लगा लेना चाहिए था कि यह गिरोह वर्षों से इस धंधे में लिप्त है लेकिन जानकर पुलिस अनजान बनी रही जबकि यहां गांजा का धंधा फलता फूलता रहा। हर महीने बड़ी खेप उड़ीसा से बांदा आती रही और उसके बाद गांजा आसपास के जनपदों में सप्लाई होता रहा है।

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एसटीएफ लखनऊ को कैसे मिली सफलता

जनपद में गांजा तस्करी का मामला भले ही बांदा पुलिस के संज्ञान में न रहा हो या पुलिस जानकर भी अनजान बनी रही हो इसी वजह से मुखबिर ने एसटीएफ लखनऊ से संपर्क किया और गिरोह की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। जिसके आधार पर 3 सदस्यीय एसटीएफ की टीम बांदा पहुंची और चार तस्करों को 200 किलो बांदा के सहित पकड़ कर सफलता अपने नाम कर ली और बांदा पुलिस हाथ मलती रह गई।

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