गगनयान मिशन में बांदा के बेटे ने रचा इतिहास,कहा युवा शिक्षा पर फोकस करें
बुंदेलखंड के जनपद बांदा निवासी इसरो में वैज्ञानिक योगेश रत्न ने शनिवार को मानवयान के पहले यान वाले रॉकेट परीक्षण यान डी1 के प्रक्षेपण में...
बुंदेलखंड के जनपद बांदा निवासी इसरो में वैज्ञानिक योगेश रत्न ने शनिवार को मानवयान के पहले यान वाले रॉकेट परीक्षण यान डी1 के प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण योगदान देकर बुंदेलखंड और जनपद बांदा को गौरवान्वित किया है। इसके पहले भी योगेश रत्न ने कई रॉकेट निर्माण में अपना योगदान दिया है। शनिवार को रॉकेट परीक्षण यान डी1 का सफल परीक्षण होने पर परिवार के लोगों ने खुशी जाहिर की है।वही वैज्ञानिक योगेश रत्न ने कहा कि वह इस सफलता से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
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इसरो में कार्यरत बांदा के तुलसी नगर निवासी वैज्ञानिक योगेश रत्न का मानवयान के पहले यान वाले रॉकेट परीक्षण यान डी-1 में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वह केरल के राजधानी तिरुवनन्तपूरम मे स्थित इसरो के प्रमुख केंद्र विक्रम साराभाई अंतरीक्ष केंद्र के गुणवत्ता आश्वाशन विभाग में पिछले 14 वर्षों से कार्यरत हैं। वह राकेट के ठोस प्रणोदक मोटर के बनाने एवं परीक्षण परिक्षण के लिए उत्तरदायी है। आंध्र प्रदेश में स्थित सतीश धवन अंतरीक्ष केंद्र के प्रमोचन स्थल पर रॉकेट के विभिन्न भागों का एकीकरण करके उन्हें प्रमोचन के लिए तैयार करने में भी इनकी अहम भूमिका होती है।
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योगेश रत्न का जन्म के शिवरामपुर गाँव मे हुआ। पिता रामशंकर साहू चित्रकूटब्लॉक में एडीओ पंचायत के पद से रिटायर हुए थे। उनके जीजाजी विजय साहू बांदा कोर्ट मे वरिष्ठ वकील हैं। योगेश रत्न ने अपनी दसवी सेठ राधाक्रिश्न पोद्दार इंटर कॉलेज, चित्रकूट से और बारहवीं चित्रकूट इंटर कॉलेज से पूरी की। इन्होंने रासायनिक अभियांत्रिकी शाखा में रहते हुए बुंदेलखंड इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी, झाँसी से बी.टेक. की पढ़ाई पूरी की तथा आई. आई. टी, खरगपूर से विश्वसनीयता इंजिनीयरींग में एम.टेक. पूरी की। फिर कुछ महीने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, जामनगर में काम करके वर्ष 2008 मे इसने इसरो जॉइन की। इसरो मे काम करने के दौरान अबतक, योगेश रत्न ने 40 पीएसएलवी, 9 जीएसएलवी, 3 एल वी एम समय 2 एस एस एल वी एवं कई अन्य रॉकेट निर्माण के कार्य मे शामिल रहें हैं। जिनका उपयोग चंद्रयान-2, मंगलयान वन-वेब सहित कई अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा तक पहुँचाने के लिए किया गया।
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वर्तमान मे उन्होने मानवयान के पहले यान वाले रॉकेट परीक्षण यान डी-1 के ठोस प्रणोदक मोटर के बनाने एवं परीक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके साथ गगनथान के मानव रहित कर्मीदल मॉड्यूल के परीक्षण और इसका प्रक्षेपण करने वाले रॉकेट के कार्यों में भी शामिल है। जिसका प्रक्षेपन शनिवार 21 अक्टूबर को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है।
वैज्ञानिक योगेश रतन ने बुंदेलखंड न्यूज़ से बातचीत में बताया कि आज के रॉकेट प्रक्षेपण में सभी वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। मैने भी अपना योगदान दिया है। आज के परक्षेपण में इसरो में सभी खुश हैं। इस बात के लिए उत्साह बढा है कि आगे मिशन में भी इसी तरह की कामयाबी मिलती रहे। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि युवा शिक्षा पर फोकस करें, फालतू समय बर्बाद न करें। शिक्षा से ही आगे भविष्य में कामयाबी तय होती है। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की है। युवा इस भ्रांति को मन से निकाल दे कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कामयाब नहीं होते हैं।