चैत्र मे अमावस्या का चित्रकूट मे इस वजह से विशेष महत्व, इस बार 2 लाख श्रद्धालु आयेंगे

शुक्रवार अमावस्या है इस दिन चित्रकूट में मेला का आयोजन होता है। जहां देश भर से लाखों श्रद्धालु मंदाकिनी स्नान कर..

Mar 30, 2022 - 07:02
Mar 30, 2022 - 07:07
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चैत्र मे अमावस्या का चित्रकूट मे इस वजह से विशेष महत्व, इस बार 2 लाख श्रद्धालु आयेंगे
कामतानाथ स्वामी चित्रकूट (Kamtanath Swami Chitrakoot)

शुक्रवार अमावस्या है इस दिन चित्रकूट में मेला का आयोजन होता है। जहां देश भर से लाखों श्रद्धालु मंदाकिनी स्नान कर कामतानाथ स्वामी के दर्शन करते हैं और कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं। इस बार दो लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। जिसके कारण प्रशासन द्वारा प्रशासनिक तैयारियां भी तेज कर दी गई हैं। भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में प्रतिमाह माह अमावस्या के दिन का काफी महत्व है। हर माह की अमावस्या में करीब 2 लाख से अधिक की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। कई दिन पहले से ही पैदल चलकर श्रद्धालु जुटने लगते है।

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चित्रकूट में इस बार अमावस्या और भी खास है। क्योंकि चौत्र एक अप्रैल को चैत्र अमावस्या होने पर प्रतिवर्ष भगवान राम को मानने वाले भी यहां पहुंचते हैं और मंदाकिनी में स्नान कर कामतानाथ स्वामी के दर्शन कर कामदगिरी पर्वत की पांच किलोमीटर लंबी परिक्रमा लगाते हैं। अमावस्या में स्नान कर दीप दान और सूर्य को अर्ध्य देने का भी महत्व होता है इससे मनुष्य के पाप कट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुण्य नदियों में इस दिन स्नान का और भी खास महत्व होता है। चैत्र माह में ही श्रीराम नवमी का आयोजन होता है। इसलिए भी चित्रकूट में चैत्र माह का अधिक महत्व है।

चित्रकूट आधा मध्य प्रदेश और आधा उत्तर प्रदेश की सीमा में है। चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां की मान्यता है, कि भगवान श्रीराम अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान साढे 11 वर्ष चित्रकूट में स्थित कामदगिरि पर्वत के घने जंगलों में ही गुजारे थे। कामदगिरि पर्वत की विशेषता है, कि इसके चार प्रमुख द्वार चार अलग-अलग दिशा में है। श्रीराम इन्ही जंगल में निवास करते थे और यहां से निकलने के लिए उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में एक-एक द्वार बनाया गया था। जब भगवान श्रीराम ने यहां से जाने लगे, तो चित्रकूट पर्वत ने उनसे कहा प्रभु आपने तो यहां वास किया है। इसलिए अब यह भूमि पवित्र हो गई।

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