भारत आने के लिए फ्रांस से उड़े 5 राफेल, पढ़िये कहाँ कहाँ रुकेंगे
भारत में उतरने से पहले राफेल जेेट में भारतीय आईएल-78 टैंकर से एक बार फिर आसमान में ही ईंधन भरा जाएगा। राफेल उड़ाने के लिए पहले बैच में भारतीय वायुसेना के 12 पायलटों ने फ्रेंच एयरबेस में अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। दोनों देशों में लॉकडाउन के नियमों में ढील दिए जाने के बाद पायलटों के दूसरे बैच को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
- संयुक्त अरब अमीरात में एक पड़ाव पर रुकेंगे, जहां सभी विमानों को ईधन दिया जाएगा
- वायुसेना के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर 29 जुलाई को पहुंचेंगे
फ्रांस ने समय पर आपूर्ति करने के अपने वादे को पूरा करते हुए सोमवार को सुबह करीब साढ़े आठ बजे (भारतीय समयानुसार 11.30 बजे) मेरिग्नैक बोर्डो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पांच लड़ाकू विमान 'राफेल' भारत के लिए रवाना कर दिए। इससे पहले फ्रांस में भारतीय राजदूत ने राफेल के भारतीय पायलटों से मुलाकात करके बातचीत की और उन्हें भारत के लिए एक सुरक्षित उड़ान के लिए बधाई दी। पांंचों फाइटर जेट संयुक्त अरब अमीरात में एक पड़ाव पर रुकेंगे, जहां सभी को ईधन दिया जाएगा। इसके बाद 29 जुलाई को वायुसेना के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंच जाएंगे। एक हफ्ते के अंदर इन सभी को ऑपरेशनल बनाया जाएगा क्योंकि पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन से मोर्चा लेने के लिए तैनात किया जाना है।
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भारतीय वायुसेना की 'गोल्डन ऐरोज' 17 स्क्वाड्रन में शामिल होने के लिए लड़ाकू विमान राफेल के पहले दस्ते को अंबाला एयरबेस में तैनात किया जाएगा। इसीलिए विमान में लगने वाली मिसाइल और अन्य उपकरण पहले ही वायुसेना के अंबाला एयरबेस पर पहुंच चुके हैंं। अत्यधिक उन्नत हथियार प्रणालियों वाले फाइटर जेट राफेल से सम्बंधित एयरक्रूज और ग्राउंड क्रू ने अपने व्यापक प्रशिक्षण पूरे कर लिए हैं। इन पांच राफेल विमानों में 3 ट्विन-सीट वाले और 2 सिंगल-सीट वाले हैं। आने वाले राफेल अभी सभी शस्त्र प्रणालियों से लैस नहीं हैं। राफेल जब अंबाला पहुंचेंगे, तो वे 300 किलोमीटर की रेंज की स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड क्रूज़ मिसाइलों और हैमर सिस्टम से फायरिंग करने में सक्षम होंंगे।
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पहले ही अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंच चुकी 100-150 किमी रेंज की उल्का एयर-टू-एयर मिटयोर मिसाइलोंं को राफेल विमानों में फिट करने में कुछ समय लगेगा। यह मिसाइल हवा से हवा में मार करने के मामले में दुनिया के सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है। वायुसेना के सूत्रों का कहना है कि किसी भी नए लड़ाकू विमानों को आपूर्ति होने के तुरंत बाद मोर्चे पर तैनात नहीं किया जाता है क्योंकि उनका परीक्षण करने और रणनीति विकसित करने में समय लगता है लेकिन राफेल को जल्द ही हथियारों और सिस्टम की इस प्रक्रिया से गुजारकर पूर्वी लद्दाख की सीमा एलएसी पर चीन का मुकाबला करने के लिए तैनात किया जाएगा।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय वायु सेना की टीम के साथ फ्रांस जाकर पहला राफेल विमान 8 अक्टूबर, 2019 को हासिल किया था। वैसे तो राफेल विमान फ्रांस से सीधे भारत आ सकते थे लेकिन एक छोटे से कॉकपिट के अंदर 10 घंटे की उड़ान तनावपूर्ण हो सकती थी, इसलिए पांंचों फाइटर जेट संयुक्त अरब अमीरात में एक पड़ाव पर रुकेंगे, जहां सभी को ईधन दिया जाएगा। भारत में उतरने से पहले राफेल जेेट में भारतीय आईएल-78 टैंकर से एक बार फिर आसमान में ही ईंधन भरा जाएगा। राफेल उड़ाने के लिए पहले बैच में भारतीय वायुसेना के 12 पायलटों ने फ्रेंच एयरबेस में अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। दोनों देशों में लॉकडाउन के नियमों में ढील दिए जाने के बाद पायलटों के दूसरे बैच को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
(हिन्दुस्थान समाचार)