'मुसलमान' के हाथ की 'मिट्टी' 'राम-मन्दिर' के 'नींव' में कत्तई स्वीकार नहीं

अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर सवाल खड़ा करने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने रविवार को फिर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 'मुसलमान' के हाथ की 'मिट्टी' 'राम-मन्दिर' के 'नींव' में कत्तई स्वीकार नहीं है। आरएसएस ने अगर मुसलमान से मिट्टी रखवाई तो हम लोग आंदोलन करेंगे...

Jul 27, 2020 - 15:09
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'मुसलमान' के हाथ की 'मिट्टी' 'राम-मन्दिर' के 'नींव' में कत्तई स्वीकार नहीं

वाराणसी

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार देर शाम को वीडियो संदेश जारी कर कहा कि जिन मुसलमानों से हम पांच सौ वर्ष लड़ते रहे। जिन्होंने हमारे मंदिर को तोड़कर उस पर मस्जिद बनाने की कोशिश की। बड़ी मुश्किल से साढ़े तीन लाख लोगों के बलिदान और पांच सौ साल बाद हमें मंदिर बनाने का मौका मिला है। 

उन्होंने सवाल किया कि जिन मुसलमानों ने मंदिर तोड़ा क्या हम उनके हाथ से आधारशिला रखवायेंगे। उनके हाथ की छुई मिट्टी आधारशिला में रखी जायेगी। उन्होंने कहा कि आज भी बाबा विश्वनाथ के मंदिर में ये कब्जा जमाये बैठे हैं। अपने मूल मंदिर में हम पूजा नहीं कर पा रहे। यही हाल मथुरा का है। 

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उन्होंने कहा कि आरएसएस के प्रमुख नेता (अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य) इंद्रेश कुमार से प्रेरणा लेकर मुसलमान मोहम्मद फैज खान नाम का व्यक्ति मिट्टी लेकर अयोध्या आ रहा है। हम यह बिलकुल स्वीकार नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि अगर उसकी राम और हिंदू धर्म में आस्था है, तो पहले वह हिंदू धर्म अपनाए और प्रायश्चित करे कि गलत जगह चले गए थे फिर मौका दिया जा सकता है। 

उन्होंने मंदिर निर्माण के मुहूर्त को लेकर तंज कसते हुए कहा कि लगता है कि सरकार में बैठे लोगों को 05 अगस्त पर अंधविश्वास हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को कई फैसले लिए गए हैं, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहला निर्णय लिया था कि मुगलसराय का नाम 5 अगस्त को ही बदलेंगे और 5 अगस्त को ही बदला था। अमित शाह जब गृहमंत्री बने तो धारा 370 के विभिन्न प्रावधान 5 अगस्त को ही खत्म किए गए। इनके मन में कोई अंधविश्वास बैठ गया है कि 5 अगस्त को शिलान्यास करेंगे तो अच्छा होगा।

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि 'शंकराचार्य को ही नहीं श्रृंगेरी और पुरी के शंकराचार्य को भी, वैष्णवाचार्य, रामानंद, रामानुज, इन सबको अलग रखा गया है, क्योंकि ये लोग दिव्य, भव्य और विश्व का अद्वितीय मंदिर बनाएंगे। 

(हिन्दुस्थान समाचार)

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