कानपुर कांड : अब गद्दारों को सजा मिलनी चाहिए
आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले दुर्दांत हत्यारे विकास दुबे के एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के परिजनों ने कहा है कि अब उनके आत्मा को शांति मिली है ,लेकिन अब वक्त आ गया है की इस घटना की साजिश रचने वाले गद्दारों को सजा मिलना चाहिए।
शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के जुड़वा भाई राजीव मिश्रा ने इस मामले में सीधे-सीधे एसटीएफ के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी और चैबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहते हैं कि बिकरू गांव में केवल हमारे भाई बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा की हत्या करने की साजिश रची गई थी।
इसके लिए राजनेताओं से लेकर उपरोक्त पुलिस अधिकारियों की अहम भूमिका थी और हत्या करने की जिम्मेदारी विकास दुबे को सौंपी गई थी।योजना के तहत हमारे भाई की हत्या की गई लेकिन इस घटना में सात अन्य पुलिसकर्मी भी लपेटे में आ गए और उन्हें भी अपनी जान गंवानी पड़ी।
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राजीव मिश्रा ने आरोप लगाया कि हिस्ट्रीशीटर विकास और पूर्व थानाध्यक्ष चैबेपुर विनय तिवारी के बीच सांठगांठ थी।उनके काले कारनामों पर सीओ देवेंद्र मिश्र न सिर्फ बाधक बने हुए थे बल्कि उन्होंने एसटीएफ के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी को आधा दर्जन लिखित शिकायती पत्र भी भेजे थे । लेकिन अनंतदेव तिवारी ने हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की बल्कि उसे बचाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
इधर जब विकास दुबे के घर में छापा मारने की कार्रवाई की योजना बनाई गई तो उपरोक्त अधिकारियों ने विकास दुबे तक सूचना पहुंचाई जिससे योजनाबद्ध तरीके से हमारे भाई व साथ अन्य पुलिसकर्मियों की हत्या की गई। शहीद हुए पुलिसकर्मियों की हत्या में उपरोक्त अधिकारियों की अहम भूमिका की जांच होनी चाहिए, जांच के बाद कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए तभी हमारे शहीद भाई देवेंद्र मिश्रा व सात अन्य पुलिसकर्मियों की आत्मा को शांति मिलेगी।
उन्होंने आज विकास दुबे के मारे जाने पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि देर से ही सही लेकिन पुलिस ने दुर्दांत हत्यारे को मौत के घाट उतार कर अपने साथी पुलिसकर्मियों की हत्या का बदला ले लिया है।
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बताते चलें कि जनपद बांदा क गिरवा थाना अंतर्गत ग्राम सहेवा निवासी सीओ देवेंद्र मिश्र 2/3 जुलाई की रात बिकरु गांव में हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।इसके बाद इनकी बेटी ने उस पत्र को सार्वजनिक किया था जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्र ने थानाध्यक्ष विनय तिवारी और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के बीच सांठगांठ को उजागर किया था। यह पत्र एसएसपी एसटीएफ को दिया गया था लेकिन जब यह पत्र उजागर किया गया तो यह पत्र ही विभाग की पत्रावलियों से गायब था और इस पत्र को फर्जी साबित करने की कोशिश की गई लेकिन जांच में यह पत्र सही पाया गया था ।