बांदा में 5 दिन होता है रावण वध, इस बार मिला जीवनदान !?
बांदा में दशहरा पर्व का विशेष महत्व है जहां समूचे देश में एक ही दिन दशहरा मनाया जाता है और उसी दिन रावण वध का मंचन, रावण और..
 
                                बांदा में दशहरा पर्व का विशेष महत्व है जहां समूचे देश में एक ही दिन दशहरा मनाया जाता है और उसी दिन रावण वध का मंचन, रावण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं परंतु जनपद बांदा में अलग-अलग 5 दिन रावण का वध किया जाता है और पांचों दिन रावण के पुतले फूंके जाते हैं और फिर शुरू होता है दशहरा मिलन समारोह जो पांच दिन चलता है। पर 200 वर्षों में यह पहला मौका होगा जब कोरोना के कारण न रावण मरेगा और न पुतला दहन किया जाएगा।
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गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामायण के अनुसार देशभर में रामलीलाओं का मंचन किया जाता है और इसके बाद रावण वध होता है। उसी दिन विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है परंतु बांदा में दशहरा मनाने का अलग अंदाज है। यहां 5 दिन अलग-अलग रावण जलाने की प्रथा बहुत पुरानी है। शहर के पांच स्थानों पर 5 दिन लगातार रावण का वध कर विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है और इस त्यौहार को लोग एक दूसरे के घर जाकर दशहरे की बधाई देते हैं ।
बाँदा के प्रागी रामलीला अध्यक्ष सीए विजय कुमार गुप्ता बताते हैं यहां दशहरे का मतलब सामाजिक समरसता, उत्थान और प्रेम भाव को बढ़ाना है। एक दिन में लोग एक-दूसरे को दशहरे की बधाई नहीं दे पाते हैं इसलिए पांच दिन तक दशहरा चलता है। लेकिन कोरोना संक्रमण का ग्रहण इस बार रामलीला में भी लगा है, यही वजह है कि इस वर्ष न तो रामलीला हो सकी और न दशहरा होगा। उन्होंने कहा कि दशहरे के दिन रामलीला मैदान में सिर्फ मुकुट पूजन किया जाएगा।प्रागी तालाब में रावण वध वह पुतला दहन का कार्यक्रम नहीं होगा।
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इसी तरह अलीगंज रामलीला के अध्यक्ष राजेश दीक्षित का भी कहना है कि दशहरा और पुतला दहन के दौरान भारी भीड़ उमड़ती है जिसके कारण कोरोना संक्रमण रोक पाना असंभव है इसलिए गत वर्षो की भांति रामलीला का मंचन और रावण का पुतला दहन नहीं होगा ।
सामाजिक कार्यकर्ता उमाशंकर पाण्डेय कहते है कि बांदा के शहरी क्षेत्र में ही ये पांच दिन तक का दशहरा मनाया जाता है। पहले यहां चार दिन तक दशहरा बनाने का चलन था। पर पिछले दो-तीन साल से ये पांच दिन का होने लगा। बांदा के रहने वाले रज्जन मिश्रा दशहरे के बारे में हैंकि हर मोहल्ले का अपना रावण एक-एक दिन करके जलता है । ऐसा करने के पीछे वजह खुद को पांच दिन खुश रखना है और हम लोग पांच दिन खुश रहते भी हैं ।
- प्रागी तालाब का दशहरा
पहले दिन का दशहरा रामलीला प्रागी तालाब का मनाया जाता है। यह दशहरा प्रागीतालाब के तालाब के मैदान में मंचन के बाद मनाया जाता है।इस दशहरे को छोटी बाजार, मढ़िया नाका, खुटला सहित एक दर्जन मोहल्लों में मनाया जाता है।
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- दूसरे दिन अलीगंज
दूसरे दिन अलीगंज रामलीला में रावण का वध होता है और पुतला दहन के बाद अलीगंज, खाई पार ,बाबूलाल चैराहा, गूलर नाका, चैक बाजार सहित आधा दर्जन में मोहल्लों में दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
- तीसरे दिन नाई दशहरा
तीसरे दिन नाई राम लीला का मंचन मानिक कुइयां के मैदान में होता है ।यहां भी युद्ध का मंचन कर रावण का वध होता है और फिर परंपरागत तरीके से दशहरा मिलन समारोह की धूम होती है। तीसरे दशहरे में कटरा ,बलखंडी नाका, नोनिया मुहाल ,छवि तालाब ,बन्योटा, सिंह वाहिनी मंदिर, क्योटरा में दशहरा मनाया जाता है।
- चौथा जहीर क्लब मैदान में
चैथा दशहरा सिविल लाइन इलाके में होता है, यहां पर भी जहीर क्लब मैदान में रावण वध के बाद पुतला जलाने की परंपरा है इस दिन स्वराज कॉलोनी, पुलिस लाइन सिविल लाइन जरेली कोठी ,केन पथ रोड इत्यादि मोहल्लों में दशहरा मिलन होता है।पांचवा और अंतिम दशहरा पिछले तीन-चार वर्षों से आवास विकास कॉलोनी के पास काशीराम कॉलोनी में मनाया जाता है।यहां भी रावण वध के बाद दशहरा मिलन होता है।
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यहाँ के पाँच मोहल्ले प्रागी तालाब, अलीगंज, छाबी तालाब, जहीर क्लब और काशीराम में अलग-अलग रावण जलाये जाते हैं। पर ये पाँचों रावण एक ही दिन नहीं जलते हैं बल्कि एक- एक करके जलते हैं। बांदा के दशहरे में लोग पांच दिन तक खास पकवान बनाते हैं, जिसके बाद लोग एक-दूसरे के घर दशहरे की शुभकामना देने आते हैं। लोग दशहरे के दिनों में आपसी मतभेद को भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलकर फिर से दोस्ती की शुरूआत करते हैं। लेकिन यह पहला मौका होगा जब कोरोना के कारण न रावण मरेगा और न पुतला दहन होगा।
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