जालौन की मैदानी रामलीला रामानंद सागर की रामायण की दिला देती है याद, लिम्का बुक में है दर्ज

जालौन के कोंच नगर में आयोजित होने वाली रामलीला अनोखे तरीके से होती है। यहां कलाकार सजीव दृश्य प्रस्तुत करते हैं....

जालौन की मैदानी रामलीला रामानंद सागर की रामायण की दिला देती है याद, लिम्का बुक में है दर्ज

जालौन। जालौन के कोंच नगर में आयोजित होने वाली रामलीला अनोखे तरीके से होती है। यहां कलाकार सजीव दृश्य प्रस्तुत करते हैं। रामानंद सागर की रामायण की तर्ज पर यहां रावण-जटायु युद्ध, सीता हरण और मारीच वध का मंचन होता है। इस अद्वितीय शैली को देखने के लिए हजारों लोग एकत्र होते हैं। जिसके चलते प्रशासन और पुलिस सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहते हैं।

कोंच नगर की यह रामलीला 172 वर्षों से जारी है। इसे अयोध्या और बनारस के बाद सबसे बड़ी मैदानी रामलीला माना जाता है। यहां राम, लक्ष्मण और सीता का किरदार छोटे-छोटे ब्राम्हण बच्चे निभाते हैं। युद्ध के दृश्य मैदान में सजीव तरीके से प्रदर्शित किए जाते हैं।

रामलीला समिति के पदाधिकारी संजय सिंघाल ने बताया कि कोंच के कलाकारों का यह सजीव अभिनय पूरे देश में कहीं और देखने को नहीं मिलता। इस आयोजन में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय मिलकर भाग लेते हैं। जिससे यह एकता का प्रतीक बनता है।

इस रामलीला का शोध अयोध्या संस्थान द्वारा भी किया गया है। इसे लिम्का बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है। 12 साल पहले, टोबैगो और त्रिनिदाद की पूर्व प्रधानमंत्री की भतीजी इंद्राणी रामदास को इस रामलीला के इतिहास का शोध करने के लिए भेजा गया था। यह रामलीला न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसकी अनूठी परंपरा को संरक्षित करने की दिशा में प्रयास जारी हैं।

हिन्दुस्थान समाचार

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