बांदा : मत्स्य पालकों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार की बड़ी पहल, अब तालाबों में लगेंगे 'एरेशन सिस्टम'
जनपद के मत्स्य पालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और मछली पालन को वैज्ञानिक तकनीक से जोड़ने के लिए योगी सरकार...
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राज्य सेक्टर योजना के तहत मत्स्य पालकों को मिलेगा लाभ।
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29 दिसंबर से 7 जनवरी तक ऑनलाइन पोर्टल पर किए जा सकेंगे आवेदन।
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कम समय में बढ़ेगा मछली उत्पादन, ऑक्सीजन की कमी से नहीं होंगी मौतें।
बांदा। जनपद के मत्स्य पालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और मछली पालन को वैज्ञानिक तकनीक से जोड़ने के लिए योगी सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जिले में अब सघन मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 'एरेशन सिस्टम' (Aeration System) की स्थापना की जाएगी। राज्य सेक्टर योजना के अंतर्गत आने वाली इस तकनीक से न केवल मछलियों का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि उनकी मृत्यु दर में भी भारी कमी आएगी।
कम समय में होगा बंपर उत्पादन
मत्स्य पालन विशेषज्ञों के अनुसार, एरेशन सिस्टम पानी में ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखने का काम करता है। अक्सर गर्मियों के मौसम में तालाबों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे मछलियां दम तोड़ देती हैं। एरेशन सिस्टम इस समस्या का स्थाई समाधान है। यह पानी के पीएच (pH) और अन्य मानकों को संतुलित रखता है, जिससे मछलियां स्वस्थ रहती हैं और उनका विकास तेजी से होता है। इस तकनीक की मदद से मत्स्य पालक कम जगह में भी अधिक मछलियां पाल सकेंगे।
29 दिसंबर से दोबारा खुलेगा आवेदन पोर्टल
योजना के क्रियान्वयन के संबंध में जानकारी देते हुए मत्स्य अधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के आवेदन पहले जुलाई से अक्टूबर के बीच लिए गए थे। अब अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से विभागीय पोर्टल
"जिले के मत्स्य पालक इस निर्धारित समय सीमा के भीतर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पात्र लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया जाएगा ताकि वे वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर अपनी आय दोगुनी कर सकें।" - सुधीर कुमार, मत्स्य अधिकारी
सरकार का जोर: अतिक्रमण मुक्त तालाब और आधुनिक तकनीक
उत्तर प्रदेश सरकार मत्स्य पालन को एक लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसमें न केवल तालाबों का आवंटन और उन्हें अतिक्रमण मुक्त कराना शामिल है, बल्कि नई तकनीकों के लिए सब्सिडी और सहायता भी प्रदान की जा रही है। एरेशन सिस्टम की स्थापना इसी कड़ी का एक हिस्सा है, जो बांदा के किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
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