कोरोना पीड़ित युवक की जान बचाने को बुजुर्ग ने अपना बेड छोडा, कहा-अपनी जिंदगी जी चुका हूँ, इसे बचाओ

अस्पतालों में बेड्स नहीं मिल रहे, जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की भी महामारी है, जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की भी महामारी है...

कोरोना पीड़ित युवक की जान बचाने को बुजुर्ग ने अपना बेड छोडा, कहा-अपनी जिंदगी जी चुका हूँ, इसे बचाओ

अस्पतालों में बेड्स नहीं मिल रहे, जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की भी महामारी है, जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की भी महामारी है।

नागपुर के रहने वाले नारायण भाऊराच दाभाड़कर खुद कोरोना संक्रमित थे। अस्पताल में उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी जिंदगी जी ली है, मेरी उम्र 85 साल है, इस महिला का पति युवा है उसे बेड दे दिया जाए’ ये कहते हुए दाभाड़कर घर लौट आए थे।

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कोरोना की दूसरी लहर की सबसे ज्यादा मार महाराष्ट्र और दिल्ली झेल रहे हैं। अस्पतालों में बेड्स नहीं मिल रहे, जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन की भी महामारी है। इन सबके बीच ऐसे लोग भी है जो इंसानियत पर भरोसा करना सीखा जाते हैं। नागपुर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां कोरोना संक्रमित एक युवक के लिए एक बुजुर्ग ने बेड लेने से इनकार कर दिया और घर लौट गए, तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक, नागपुर के रहने वाले नारायण भाऊराच दाभाड़कर खुद कोरोना संक्रमित थे। अस्पताल में उन्होंने कहा- मैंने अपनी जिंदगी जी ली है, मेरी उम्र 85 साल है। इस महिला का पति युवा है, उसे बेड दे दिया जाए, ये कहते हुए दाभाड़कर घर लौट आए थे। वो कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुए थे। ऑक्सीजन का लेवल 60 तक पहुंच गया था।

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ऐसे में उनके दामाद और बेटी ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया था। इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में पहले से ही बेड की मारामारी थी। वहां बड़ी मशक्कत के बाद बेड मिला था।

इलाज की प्रक्रिया चल रही थी, इसी दौरान एक महिला अपने कोरोना संक्रमित पति को बचाने के लिए बेड की गुहार लगाने वहां पहुंची अस्पताल ने महिला के 40 साल के पति को भर्ती करने से मना कर दिया था, क्योंकि बेड खाली नहीं था।ये देखकर दाभाड़कर ने अपना बेड उस महिला को अपने पति के लिए ऑफर कर दिया। अस्पताल प्रशासन ने भी कंसेंट फॉर्म पर साइन करा लिए। तीन दिन बाद बिना उचित इलाज के दाभाड़कर की मौत हो गई।

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