असली उम्र का खुलासा और भाजपा के जिला अध्यक्ष पद पर बवाल, राम लखन औदिच्य फंसे त्रिशंकु की तरह
भाजपा के जिला अध्यक्ष पद को लेकर जालौन में घमासान मचा हुआ है। इस बवाल का केंद्र बने हैं राम लखन औदिच्य....
@ सचिन चतुर्वेदी
भाजपा के जिला अध्यक्ष पद को लेकर जालौन में घमासान मचा हुआ है। इस बवाल का केंद्र बने हैं राम लखन औदिच्य, जिनकी उम्र को लेकर उठे विवाद ने पार्टी के अंदरूनी सियासी पारे को गरम कर दिया है। भाजपा के संविधान के अनुसार, जिला अध्यक्ष पद के दावेदार की उम्र 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन राम लखन औदिच्य पर आरोप है कि उन्होंने अपनी असली उम्र छुपाकर गलत जानकारी दी।
58 की जगह 61 साल के निकले राम लखन
राम लखन औदिच्य ने जिला अध्यक्ष पद के लिए अपने आवेदन में अपनी उम्र 58 साल बताई थी। लेकिन उनके विरोधियों ने लखनऊ और दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और स्क्रीनिंग कमेटी को उनके असली उम्र के दस्तावेज भेज दिए। इन दस्तावेजों के मुताबिक, राम लखन की जन्मतिथि 10 जनवरी 1963 है। इस आधार पर उनकी उम्र 61 साल हो चुकी है। इतना ही नहीं, उनके सहायक अध्यापक पद से रिटायरमेंट की तिथि भी 31 जनवरी 2023 दर्ज है।
विरोधियों ने किया खुलासा, मचा सियासी हंगामा
जैसे ही ये जानकारी सामने आई, पार्टी के अंदर खलबली मच गई। राम लखन के विरोधियों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए सवाल उठाया कि भाजपा के संविधान को दरकिनार कर कैसे उन्हें पैनल में शामिल किया गया?
त्रिशंकु की तरह फंसे राम लखन
इस पूरे विवाद ने राम लखन औदिच्य की हालत त्रिशंकु जैसी कर दी है। एक तरफ उनके समर्थन में खड़े ताकतवर नेता उन्हें जिला अध्यक्ष पद के करीब ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ असली उम्र का खुलासा होने के बाद उनका विरोध बढ़ता जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी असमंजस में हैं कि इस झूठे दावे पर क्या फैसला लिया जाए।
भाजपा के भीतर मचा हड़कंप
भाजपा के नेताओं ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई है कि पार्टी के नियमों को ताक पर रखकर राम लखन औदिच्य का नाम पैनल में कैसे शामिल किया गया। स्क्रीनिंग कमेटी और लखनऊ के वरिष्ठ नेताओं ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही जिन तीन नामों पर विचार विमर्श हो रहा है, उनमें वर्तमान जिलाध्यक्ष उर्विजा दीक्षित के साथ वीरेंद्र निरंजन और रामलखन औदिच्य का नाम शामिल है।
अब देखना यह है कि भाजपा इस विवाद का हल कैसे निकालती है। क्या राम लखन औदिच्य अपने झूठे दावे के बावजूद जिला अध्यक्ष बन पाएंगे, या इस विवाद के बाद उनकी दावेदारी खत्म हो जाएगी? सियासत की यह बिसात आने वाले दिनों में कई नए मोड़ ले सकती है।