फतेहपुर से 30 वर्ष पूर्व लापता बेटा, भोपाल में मिला तो आंखें भर आई

फतेहपुर(उत्तरप्रदेश) से 12 वर्ष की उम्र में घर से लापता हो गया बालक जो 30 साल बाद अधेड़ उम्र का हो गया है। किसी फिल्म सी लगने वाली कहानी..

फतेहपुर से 30 वर्ष पूर्व लापता बेटा, भोपाल में मिला तो आंखें भर आई
फतेहपुर से 30 वर्ष पूर्व लापता बेटा कमल यादव..

फतेहपुर(उत्तरप्रदेश) से 12 वर्ष की उम्र में घर से लापता हो गया बालक जो 30 साल बाद अधेड़ उम्र का हो गया है। किसी फिल्म सी लगने वाली कहानी में बिछड़े बेटे को सकुशल होने का पता चला तो उनकी परिजनों की आंखें भर आई। यह विछडा बालक फतेहपुर के जमींदार का बेटा है और भोपाल में मिला है।

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भोपाल म.प्र. के परवलिया सड़क थाना प्रभारी गिरीश त्रिपाठी ने बताया कि क्षेत्र में कई दिनों से एक अधेड़ व्यक्ति घूम रहा था। वह दूसरों पर आश्रित था। कभी-कभार किसी होटल में बर्तन आदि धो देता था। शुक्रवार दोपहर में डायल-100 उसे थाने लेकर आई। बिखरे बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी वाले शख्स से उसका पता पूछा तो उसने नाम कमलेश बताया और फतेहपुर का रहने का पता बताया। 

उत्तर प्रदेश की भाषा बोलने पर थाने के पास रहने वाले उप्र निवासी एक व्यक्ति को बुलाया गया। इत्तेफाक से वह भी फतेहपुर का रहने वाला है। उसने कमलेश से गांव की भाषा में बात की। इसके बाद पुलिस ने फतेहपुर के थाने में संपर्क कर कमलेश के परिवार वालों के बारे में जानकारी लेने को कहा।

कुछ देर में वहां से पता चला कि कमलेश यादव नाम का बच्चा ग्राम सुकेती, थाना गाजीपुर, जिला फतेहपुर से 12 वर्ष की उम्र में घर से लापता हुआ था। वहां की पुलिस ने कमलेश के भाई जगतपाल यादव का संपर्क का नंबर भी दिया।

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पेशे से क्षेत्र के संपन्न किसान जगतपाल से संपर्क होते ही कमलेश की आंखों में भी अतीत की यादें ताजा हो गई। जगतपाल वहां से सड़क मार्ग से परवलिया सड़क थाने पहुंचे और बिछुड़े भाई से लिपट गए। रात में कमलेश को लेकर वह घर के लिए रवाना हो गए। कमलेश के परिवार में माता-पिता के अलावा दो भाई और एक बहन हैं।

प्रेमपूर्ण व्यवहार मिलने पर कमलेश की जैसे स्मृति लौट आई। उसने पुलिस को बताया कि वह गांव से अपने एक दोस्त के साथ बिना किसी को कुछ बताए देवास आ गया था। देवास में उन्होंने कुछ फैक्ट्रियों में काम भी किया। इसके बाद बिना बताए उसका दोस्त कहीं चला गया।

वक्त की ठोकरें खाने के बाद कमलेश की मानसिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर हो गई थी। भटकते हुए वह भोपाल आ गया था। वर्तमान में वह दूसरों पर आश्रित रहकर जी रहा था।

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