स्वावलंबन एवं प्रशिक्षण केन्द्रों पर एकात्म मानवदर्शन संदेश के साथ हुए कई कार्यक्रम

भारतरत्न नानाजी देशमुख ने 1968 में पं. दीनदयाल उपाध्याय के निर्वाण के उपरांत दीनदयाल स्मारक समिति बनाकर...

स्वावलंबन एवं प्रशिक्षण केन्द्रों पर एकात्म मानवदर्शन संदेश के साथ हुए कई कार्यक्रम

डीआरआई में मनाई गई पं. दीनदयाल उपाध्याय की 108वीं जयंती’

चित्रकूट। भारतरत्न नानाजी देशमुख ने 1968 में पं. दीनदयाल उपाध्याय के निर्वाण के उपरांत दीनदयाल स्मारक समिति बनाकर उनके अधूरे कार्यो को पूर्ण करने के लिये दिल्ली में इसकी नींव रख दी थी। 42 वर्ष में दीनदयाल स्मारक समिति से लेकर दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना तक के सफर में उनके एकात्म मानव दर्शन के विचारों को व्यावहारिक रूप से धरातल पर उतारने का काम सामूहिक पुरूषार्थ से करके दिखाया। 

बुधवार को दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के कार्यकताओं ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की 108वी जयंती पर एकात्म मानवदर्शन का संदेश पहुंचा कर दीनदयाल परिसर, उद्यमिता विद्यापीठ के दीनदयाल पार्क में भी कार्यक्रम का आयोजन किया। सवेरे से ही संस्थान के विविध प्रकल्प गुरुकुल संकुल, उद्यमिता विद्यापीठ, सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय, रामदर्शन, आईटीआई एवं आरोग्यधाम के कार्यकर्ताओं ने दीनदयाल पार्क में स्थापित पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पार्चन किया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने उनके जीवन से जुड़े प्रेरणादायी प्रसंगों को दैनिक जीवन मे आत्मसात करने के लिए मंथन भी किया। कार्यक्रम में श्री कामतानाथ प्रमुख द्वार के संत मदनगोपाल दास महाराज, रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिशिर पांडेय एवं दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन, कोषाध्यक्ष वसंत पंडित प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कुलपति ने कहा कि पं. दीनदयाल के विचार दर्शन और जीवन सबके लिये प्रेरणादायी है। संत मदनगोपाल दास ने कहा कि नानाजी ने जो कार्य किया है वह सामने है। राष्ट्रीय संगठन सचिव ने कहा कि उन्होंने समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के लिये काम किया। आज उस पूर्णता की ओर अग्रसर हैं। संचालन उद्यमिता विद्यापीठ के संयोजक मनोज सैनी ने किया।

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