झाँसी : मलाई के चक्कर में सुरक्षा से हो रहा खिलवाड़

जहां एक और लोगों ने कोरोना की आड़ में खूब अपनी जेबें गर्म की वहीं रेलवे भी कोरोना का बहाना लेकर धंधा..

झाँसी : मलाई के चक्कर में सुरक्षा से हो रहा खिलवाड़

जहां एक और लोगों ने कोरोना की आड़ में खूब अपनी जेबें गर्म की वहीं रेलवे भी कोरोना का बहाना लेकर धंधा करने में कुछ पीछे नहीं जिसका खामियाजा रेलगाड़ी से  सफर करने वाले उन गरीब यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है

जो कम दूरी का सफर करने के लिए साधारण टिकट लेकर यात्रा करते थे किंतु अब उन्हें आरक्षण करा कर ही रेलगाड़ी में सफर करना पड़ रहा है साथ ही उन गरीब यात्रियों से पैसे लेने के बहाने एक बैग सैनिटाइज करने की मशीन भी लगा दी गई है।

ऐसा लगता है कि रेलवे को इंसान की जान की कोई चिंता नहीं क्योंकि बैक सैनिटाइज करने की मशीन तो लगा दी गई किंतु यात्री को सैनिटाइज करके भेजने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है इस मशीन से उन यात्रियों के पर्स बैग बोरी आदि सैनिटाइज किए जाते हैं जो रेलगाड़ी से सफर करने जा रहे होते हैं। उन यात्रियों से रेलवे द्वारा  ठेका दिए गए उस ठेकेदार द्वारा पैसा वसूला जाता है जिसे रेलवे ने ठेका दिया है।

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कैसे हो रही लूट?  

आपको बता दें कि बैग सेनेटाइज कराने हेतु प्रति यात्री ₹ 10/- रेलवे द्वारा वह भी अगर यात्री अपनी स्वेच्छा से बैग सेनेटाइज कराना चाहे, लेकिन बैग सेनेटाइजिंग मशीन के ठेकेदार द्वारा प्रति बैग रु 10/- वसूला जा रहा है।

जिसमें प्रतिदिन लगभग 2000 से भी अधिक बैग को सेनेटाइज करने के बहाने रेल यात्रियों की जेब पर डाका डाला जा रहा है।

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ऐसे हो रहा रेल संपत्ति और रेल सुरक्षा के साथ खिलवाड़।  

आपको ज्ञात होगा कि काफी समय पहले रेलवे संबंधी सुरक्षा को लेकर झांसी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म के प्रवेश द्वार पर एक स्कैनिंग मशीन लगाई गई थी,जिसमें बैग, सूटकेस आदि स्कैन किए जाते थे जिससे यह पता चलता था कि किसी बैग में कोई बम या विस्फोटक आदि सामग्री तो नहीं है किंतु काफी समय से यह मशीन बंद पड़ी हुई है।

बुंदेलखंड न्यूज़ के हमारे झाँसी संवाददाता ने जब स्टेशन निदेशक श्री राजाराम अहिरवार से जब स्केनर ठीक कराने की जानकारी ली तब स्टेशन निदेशक ने जवाब दिया कि उस स्केनर को ठीक करने का ठेका हो चुका है और यह जल्दी ही सुचारू रूप से कार्य करने लगेगा। किंतु काफी समय बीत जाने के बाद भी स्कैनर सुचारू न हो सका।

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आखिर कौन होगा जिम्मेदार ?  

जहां एक और बैग सेनेटाइज करने की मशीन तो निरंतर कार्य कर रही है किंतु यात्री को सेनेटाइज  करने की कोई व्यवस्था झाँसी रेलवे स्टेशन पर नहीं की गई है।

वहीं दूसरी ओर महीनों से बन्द पड़ी विस्फोटक, ज्वलनशील पदार्थ, बम, बंदूक,आदि को स्कैन करने वाली स्कैन मशीन से स्कैन किये बिना अगर कोई यात्री किसी बैग में कोई सामग्री ले जाता है और कोई बड़ी या छोटी दुर्घटना घटती है तो आखिर कौन होगा इसका जिम्मेदार ?

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