फतेहपुर की पूरी भाजपा भ्रष्ट है क्या ?
फतेहपुर की सियासी जमीन इन दिनों तवे-सी तप रही। बांदा के भाजपा नेता अजीत गुप्ता ने फतेहपुर जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल...

▪️मुखलाल के तीखे तीरों ने खोली नेताओं की काली करतूतों की पोटली, योगी-मोदी की सख्ती को ठेंगा दिखा सियासी ड्रामा चरम पर!
▪️सब सियासी सांप एक ही बीन पर थिरक रहे, नेताओं की आपसी जंग ने जनता को झकझोरा—अब तो होश में आओ!
▪️मुखलाल की संगीन इल्जामों की फेहरिस्त की जांच का ढिंढोरा कब बजेगा?
▪️हर कोई खुद को चांदनी से धुला बता रहा, मगर भ्रष्टाचार की कालिख का दाग आखिर किसके हाथों पर?
✍️ सचिन चतुर्वेदी
प्रधान सम्पादक, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक
फतेहपुर की सियासी जमीन इन दिनों तवे-सी तप रही। बांदा के भाजपा नेता अजीत गुप्ता ने फतेहपुर जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल पर ₹50 लाख की रिश्वत लेकर आयोग का अध्यक्ष बनवाने का ऐसा बम फोड़ा कि पूरा सियासी गलियारा थर्रा गया। एक अखबार ने तो इस आग में घी डालते हुए दावा ठोंक दिया कि रिश्वत का इल्जाम साबित हो चुका! मगर असली सवाल तो ये कि ये जांच का तमाशा सड़कों पर कैसे उतर आया? कहीं ये भाजपा की चौखट के भीतर की साजिश का नया रंग तो नहीं? इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने एक जलसे में मुखलाल पर तंज कसते हुए ऐसा वार किया कि पाल का गुस्सा आसमान छू गया। जवाब में पाल ने हथियार उठा लिए, साध्वी से लेकर पार्टी के पुराने सूरमाओं तक, सबको अपने इल्जामों की कठघरे में खड़ा कर दिया। हर कोई खुद को गंगा की धारा में डुबकी लगाकर पवित्र बता रहा, मगर इनके तीखे तानों ने जो काला सच उछाला, वो जनता को जगाने का अलार्म बन गया।
मुखलाल ने साध्वी पर सीधा हमला बोला, पद पर रहते ₹300 करोड़ की काली दौलत और 50 से ज्यादा डंपरों की मालकियत का इल्जाम जड़ दिया। साथ ही, लोकसभा चुनाव में कक्षा 8 पास का हलफनामा फर्जी होने का दावा कर तहलका मचा दिया। इतने पर भी पाल का तीर थमा नहीं, पूर्व जिलाध्यक्ष आशीष मिश्रा पर ₹200 करोड़ की गैरकानूनी संपत्ति जोड़ने का संगीन आरोप ठोंक दिया।
बात यहीं खत्म नहीं हुई, पाल ने इशारों में फतेहपुर के सियासी गलियारे का काला सच उजागर कर दिया। कई बड़े नेता कथित तौर पर जमीन के काले धंधों में डूबे हैं, रिश्तेदारों के नाम पर जमीने हथियाकर जिला प्रशासन को अपनी जेब में रखे हुए हैं। योगी की भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती की हवा निकलती दिखी, फतेहपुर में तो जैसे सारी नीतियां हवा में उड़ गईं! पाल का कहना है कि सरकारी जमीनों पर कब्जे के खिलाफ उनकी मुहिम से बौखलाए सियासी सूरमाओं ने ₹50 लाख रिश्वत का झूठा ड्रामा रच डाला। उन्होंने जांच टीम में शामिल वरिष्ठ नेता अन्नू श्रीवास्तव समेत कईयों पर भ्रष्टाचार के तीर चलाए।
कुल मिलाकर, भाजपा का ये सियासी रण अब चौपालों तक पहुंच चुका। नेता एक-दूसरे की सियासी लाज उधेड़ने में जुटे हैं। जब सियासत की नैया डूबे, तब बुद्धि भ्रष्ट हो जाए, इससे ज्यादा क्या कहें!
मगर सवाल अब जनता के दरबार में, जब मुखलाल पर रिश्वत का शोर मचाकर जांच का तमाशा रचा जा सकता है, तो उनके इल्जामों की सैर कब होगी? फतेहपुर की अवाम सब देख रही, सब सुन रही। अब तो वक्त है कि सियासत का ये ड्रामा सच की कसौटी पर तौला जाए!
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