अमेरिकन काली तुलसी की खेती से अच्छी आमदनी : रवि प्रकाश मौर्य

अमेरिकन काली तुलसी किसानों के लिए फायदे की खेती बन सकती है। इसमें न तो किसी तरह का रोग लगता है...

Aug 16, 2024 - 08:34
Aug 16, 2024 - 08:39
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अमेरिकन काली तुलसी की खेती से अच्छी आमदनी : रवि प्रकाश मौर्य
सांकेतिक फ़ोटो - सोशल मीडिया

प्रयागराज। अमेरिकन काली तुलसी किसानों के लिए फायदे की खेती बन सकती है। इसमें न तो किसी तरह का रोग लगता है और न ही अधिक खाद-पानी की जरूरत पड़ती है। एक एकड़ में 8 से 10 क्विंटल काली तुलसी के बीज मिलते हैं। एक किलो बीज मार्केट में 80 से 150 रुपए किलो की दर से बिकते हैं। एक एकड़ में मुश्किल से 40 से 50 हजार रुपए खर्च आता है।

यह जानकारी फूलपुर क्षेत्र के युवा किसान रवि प्रकाश मौर्य ने दी। उन्होंने बताया कि अमेरिकन काली तुलसी किसानों के लिए फायदे की खेती बन सकती है। नीमच में इसे बेच सकते हैं। इसके तेल से फालूदा और आइसक्रीम सहित यूरिन सम्बंधी दवाएं भी बनती हैं। उन्होंने काली तुलसी की खेती किसान कैसे करें, इस बारे में जानकारी दी। जिससे किसान लाभान्वित हों और उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी हो।

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जून से खेती की तैयारी करें शुरू

श्री मौर्य ने बताया कि जून में काली तुलसी की खेती की तैयारी शुरू करनी पड़ती है। जून में ही इसकी नर्सरी लगानी पड़ती है। इसके एक महीने बाद पौधे रोपने होते हैं। इससे पहले खेत की तैयारी करनी चाहिए। इसके लिए 5-6 टन प्रति एकड़ गोबर की सड़ी खाद डालकर खेत की जुताई करनी चाहिए। इसके बाद वेड बनाकर इसकी रोपाई करनी होती है। लाइन से लाइन की दूरी 50 सेमी और पौधों से पौधों की दूरी 25 सेमी रखनी होती है।

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उन्होंने बताया कि काली तुलसी 120 से 150 दिनों में तैयार होती है। यदि पत्तियों का अर्क बनाना है तो 60 दिन में इसकी कटाई कर ली जाती है। फिर ये 150 दिन में तैयार होती है। एक एकड़ में 8 क्विंटल के लगभग काली तुलसी के बीज तैयार होते हैं। वहीं शेष हिस्से को भूसा बना लेते हैं। बिना कटिंग वाली तुलसी 120 दिन में तैयार हो जाती है। इसमें 10 क्विंटल तक बीज की पैदावार होती है। बीज जहां बाजार में 80 से 150 रुपए तक प्रति किलो की दर से बिकता है। वहीं तुलसी का भूसा 5 से 8 रुपए किलो की दर से अगरबत्ती और हवन सामग्री में बिक जाता है।

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लागत कम मुनाफा अधिक

काली तुलसी की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। प्रति एकड़ 80 किलो नाइट्रोजन, डीएपी 25 किलो शुरू में देना पड़ता है। जबकि गोबर की सड़ी खाद 10 टन लगती है। फसल के शुरूआती समय में खर पतवार का नियंत्रण करना पड़ता है। तुलसी बड़ी होने पर खरपतवार की समस्या भी समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि काली तुलसी के तेल की महक सौंफ की तरह होती है। काली तुलसी की पत्तियां भी हरी होती हैं, लेकिन इसके बीज काले और तिकोने आकार के होते हैं। वहीं राम और श्याम तुलसी होती है। राम तुलसी का उपयोग पूजा में होता है। उसकी पत्तियां भी हरी होती है, लेकिन बीज भूरे कलर का होता है। राम तुलसी की पत्ती, बीज और तना तक बिकता है। उसका उपयोग कफ सिरप में होता है।

हिन्दुस्थान समाचार

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