चित्रकूट : जीटीडीसी महाविद्यालय में हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी
गोस्वामी तुलसीदास राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संत कबीर अकादमी, संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान...
कबीर ने एकता पर बल दिया तो आडम्बरो पर किया प्रहार
चित्रकूट। गोस्वामी तुलसीदास राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संत कबीर अकादमी, संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में निर्गुण निधि के तहत एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई।
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प्राचार्य डॉ. विनय कुमार चौधरी ने बताया कि कबीर निर्गुण गायन व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता हुई। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रो. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि कबीर के यहां कथनी और करनी के द्वंद्व रूपी पाटन में फंसे मनुष्य को बचाने का उपक्रम दिखायी पड़ता है। कबीर का मनुष्यता पर अडिग विश्वास था। हिन्दू मुस्लिम की एकता पर बल दिया है तो दोनों ही धर्मों में व्याप्त आडम्बरों पर कड़ा प्रहार किया है। विशिष्ट अतिथि प्रो. बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा कि कबीर केवल कवि या समाज सुधारक ही नहीं थे। बल्कि वह समाज को गढ़ने वाले एक शिल्पकार भी थे। हमारे समय में कबीर की प्रासंगिकता लगातार बढ़ती जा रहा है।
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डॉ. सिद्धार्थ शंकर राय ने कहा कि कबीर की रचनाओं में साधनात्मक रहस्यवाद स्पष्ट रूप से दिखायी पड़ता है। कबीर ईश्वर को ज्ञान के माध्यम से प्राप्त करना चाहते हैं। कबीर की वाणी आज भी समाज के लिए बहुत उपयोगी है। डॉ. कुमार मंगलम इग्नू उत्तराखण्ड ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विनय कुमार चौधरी ने बताया कि भक्ति का स्वरूप निर्गुण एवं सगुण माना जाता रहा है। कबीर निर्गुण काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि रहे हैं। इनकी रचनाओं में जो संदेश है वह समाज के लिए आज भी मार्गदर्शक साबित हो रहा है। हर समय में एक कबीर का होना समाज के लिए श्रेयष्कर होगा। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक डॉ. नीरज गुप्ता, कार्यक्रम सचिव डॉ. गौरव पांडेय, डॉ. राजेश कुमार पाल, डॉ. रामनरेश यादव, डॉ. सीमा कुमारी, डॉ. अमित कुमार सिंह आदि प्राध्यापक रहे।
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