भारत देश विश्व में सबसे सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र : भागवत
पं रामकिंकर विचार मिशन के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण के संयोजकत्व में श्रीधरधाम दास हनुमान देवस्थान...
कहा कि भगवान राम ने धर्म को जीकर दिखाया
संत मुरारी बापू, संघ प्रमुख मोहन भागवत, स्वामी चिदानंद और उत्तम स्वामी की उपस्थिति में श्री रामकिंकर जन्म शताब्दी समारोह की हुई पूर्णाहुति
चित्रकूट। पं रामकिंकर विचार मिशन के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण के संयोजकत्व में श्रीधरधाम दास हनुमान देवस्थान आश्रम में आयोजित युग तुलसी पद्मभूषण रामकिंकर के तीन दिवसीय जन्म शताब्दी समारोह के पूर्णाहुति संपन्न हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ और संत का कार्यक्षेत्र अलग-अलग है। जब अंदर संत सनातन धर्म की कथा कह रहे होते हैं तब संघ के लोग कथा में बाधा न पहुंचे इसलिए डंडा लेकर बाहर बैठते हैं। अंदर क्या चल रहा है भले ही इसका ज्ञान न हो पर हमारा ज्ञान इतना तो है कि अंदर जो भी चल रहा है सबसे महत्वपूर्ण चल रहा है। पं रामकिंकर का स्मरण करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि उनकी राम कथा में सिर्फ राम कथा होती थी। उनका चित्त प्रभु में पूर्ण विलीन था। इसीलिए उनकी कथा पुरुषार्थ और कुशलता की न होकर कृपा स्वरूप थी। यही हमारे राष्ट्र का आधार है। ऋषि और मुनियों के कठोर परिश्रम से भारत राष्ट्र की नींव रखी गई है। अलग-अलग रंग रूप होते हुए भी मूल रूप से सभी एक हैं। भारत देश विश्व में सबसे सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र है। जहां जीवन जीने के लिए संघर्ष की आवश्यकता नहीं है सभी को जोड़कर उन्नति करना देश का धर्म है और इसी धर्म पर पूरी सृष्टि चल रही है। जानकारी से नहीं आचरण से धर्म की प्राप्ति होती है। भगवान राम ने धर्म को जीकर दिखाया है। जीवन को कुंदन करने के लिए पं रामकिंकर जैसे महान संतों को श्रवण करने की आवश्यकता है। दुनिया कैसी है यह महाभारत दिखाता है, रहना कैसे है यह रामायण सिखाती है। धर्म का तत्व गूढ़ है। आचरण धर्म संपन्न होने पर जीवन में परिवर्तन दुनिया को उदाहरण बनता है। सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि भगवान की इच्छा है इसलिए सनातन धर्म का उत्थान होगा। संतों और भक्तों के पुरुषार्थ और प्रभु की इच्छा से मंदिर का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि पुरुषार्थी लोगों को कभी-कभी शस्त्र उठाना पड़ता है। जब पूरा समाज तैयार होता है तब भगवान की कृपा रूपी उंगली उठती है। विश्व में कोई युद्ध न हो इसलिए मन की अयोध्या बनाना आवश्यक है।
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प्रख्यात संत मुरारी बापू ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपुरुष संबोधित करते हुए कहा कि साधु प्रतिष्ठा को नहीं निष्ठा को प्रणाम करता है। कहा कि कोई मेवा के लिए गुरु के निकट होता है। कोई सेवा के लिए परंतु मैथिलीशरण तो सबल सरल और संवेदनशील है। संवेदना का अभाव होने से चलकर भी लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सबल को परिभाषित करते हुए बापू ने कहा कि एक बालक जैसे अपने पिता की मूंछ और बाल खींचता है, मैथिलीशरण की ग्रंथ और गुरु में अटूट निष्ठा सही रूप में अनुष्ठान है। संत मुरारी बापू ने पं रामकिंकर के सानिध्य का स्मरण करते हुए कहा कि मनुष्य के शरीर में पंच महाभूत होते हैं। पंडित श्रीरामकिंकर में पांच तत्व दिखाई दिए। कहा कि जगत में कोई युद्ध न हो। यदि हुआ भी तो वह महाभारत जैसा हो। जहां श्रीकृष्ण अर्जुन को संबोधित करते हुए कहें कि विश्व में रामकथा गायको के रूप में पंडित रामकिंकर मैं ही हूं। मुरारी बापू ने कहा कि उन पर पंडित रामकिंकर के विचारों का कर्जा है। जिसे उतारने के लिए वह चित्रकूट में रामकथा जरूर कहेंगे। इस मौके पर उन्होंने चित्रकूट के लिए बहुत कुछ करने वाले महान संत रणछोड़ दास जी महाराज और महान विभूति नानाजी देशमुख को भी याद किया।
परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद ने कहा कि मोहन भागवत राष्ट्र को चिंतन देने वाले महापुरुष हैं। मुरारी बापू ने अपनी धरा की पावनता से पूरे विश्व को सिंचित किया है। वह यूनाइटेड नेशन में यूनाइटेड क्रिएशन की कथा कहते हैं। रामकिंकर तो चलते फिरते ग्रंथकर थे, विश्वकोष थे। भारत में जन्म लेने का मतलब है कि परमात्मा के जीते जागते हस्ताक्षर हैं। स्वामी चिदानंद ने कहा कि गैर हिंदू अपनी आपस में आलोचना नहीं करते हैं। इसीलिए हमें भी एक दूसरे की आलोचना नहीं करनी है। कहा कि सनातन समाज को बहुत कुछ सोचने की जरूरत है। ध्यान राम का करें और जीवन राष्ट्र का जियें। कास्ट से ऊपर राष्ट्र की बात करें। 13 वर्ष की अवस्था में संन्यास लेने वाले मां नर्मदा के उपासक उत्तम स्वामी ने कहा कि भारत में राम और गीता को समझना है तो पंडित रामकिंकर को सुनिए। सनातन धर्म के लिए उनका किया गया कार्य अलौकिक है। सभी संत सनातन हिंदू धर्म के लिए काम करें।
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श्री रामकिंकर विचार मिशन के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि संत की कृपा का फल भगवान है। भगवान की कृपा का फल सभी हैं। महाराज जी ने जिसका हाथ पकड़ा उसे कभी छोड़ा नहीं। मैथिलीशरण ने कहा कि उत्तम स्वामी के रूप में वह मां नर्मदा को, मोहन भागवत के रूप में देश को, मुरारी बापू के रूप में समुद्र को और चिदानंद के रूप में मां गंगा को प्रणाम करते हैं। इसके पूर्व जिला जज उदय लक्ष्मी परमैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैथिलीशरण की प्रत्येक स्वांस में रामकिंकर हैं।