बुन्देली कविता : नासमिटे जे कोरोना की

बुन्देली कविता : नासमिटे जे कोरोना की

डॉ. वर्षा सिंह @ सागर

तीन पांच लों लॉकडाउन है, तीन पांच ने करियो
तारा डारे हम घर बैठे, तुम अपने घर रहियो।

दूरी खों मतलब हम खों जे डिस्टेंसिंग है रखने
हाल तुमाओ का कैसो है, मोबाइल पे कहियो।।

नासमिटे जे कोरोना की, बड़ो दोंदरा दै रऔ
धूल चटा देबी ससरे खों, तनक धीर तो धरियो।

पुलिस, कलक्टर संगे हमरे, संगे पीएम, सीएम
सात बचन खो पालन करबै में तनकऊ ने डरियो।।

मोड़ा-मोड़ी घरे राखियो, जान कहूं ने दईयो
ददा, अम्मा, मम्मा, फूफा ध्यान सबई खों रखियो।

ढाल बने से खड़े वारियर, देत सुरक्छा हमखों
उन ओरन की सच्चे मन से जयकारे सब करियो।

"वर्षा सिंह" की जेई अरज है कोऊ रहे ने भूखो,
अपनी थारी,अपनी रोटी सबसे साझा करियो ।।

लॉकडाउन 2.0 को लागू करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनमानस की सुरक्षा के लिए सभी से सात वचन मांगे हैं। जिन्हें पूरा करके कोरोना जैसी महामारी को मात दी जा सकती है। इसी विषय पर बुंदेली काव्य पंक्तियों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर रही हैं सागर मध्य प्रदेश की वर्षा सिंह।

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