जलवायु संकट के समाधान की ओर बड़ा कदम: टेरी का वाटरशेड प्रबंधन पर विशेष प्रशिक्षण, डॉ. हीरा लाल ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव

द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) ने उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0...

Mar 19, 2025 - 10:28
Mar 19, 2025 - 10:32
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जलवायु संकट के समाधान की ओर बड़ा कदम: टेरी का वाटरशेड प्रबंधन पर विशेष प्रशिक्षण, डॉ. हीरा लाल ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव

नई दिल्ली, 18 मार्च, 2025:

द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) ने उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 (WDC-PMKSY 2.0) के तहत जलवायु अनुकूल एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जल संसाधन संरक्षण, ग्रामीण आजीविका को सशक्त बनाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए नवीनतम तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना था।

कार्यक्रम का उद्घाटन ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव नितिन खड़े ने किया। उन्होंने वाटरशेड कार्यक्रम को जन आंदोलन में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया और WDC-PMKSY 1.0 के तहत जल संरक्षण संरचनाओं के रखरखाव की महत्ता पर प्रकाश डाला।

टेरी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. दीपंकर सहारिया ने कहा, "टेरी वर्ष 2000 से वाटरशेड परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है और हमने पाया है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से स्थानीय समुदायों का सामाजिक-आर्थिक विकास संभव है।"

उत्तर प्रदेश सरकार के WDC-PMKSY 2.0 के सीईओ डॉ. हीरा लाल ने मुख्य भाषण में कहा, "जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है। जब हम ज्ञान पूंजी को वित्तीय और सामाजिक पूंजी के साथ जोड़ते हैं, तो अद्भुत परिवर्तन लाए जा सकते हैं। हमें 'जल, जंगल और ज़मीन' की उसी प्रकार देखभाल करनी होगी, जैसे हम अपनी माता की करते हैं।"

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रूपिंदर ओबेरॉय ने वाटरशेड प्रबंधन में स्थानीय किसानों और जमीनी कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने "पानी को केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि बहुमूल्य संपत्ति के रूप में देखने" की जरूरत पर जोर दिया।

टेरी के निदेशक अनुशमन ने अपने धन्यवाद भाषण में कहा, "जल संसाधनों को बहाल करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली आवश्यक है।"

तकनीकी सत्रों में जलवायु-स्मार्ट प्रथाओं पर चर्चा
कार्यक्रम में जलवायु-लचीले वाटरशेड प्रबंधन के प्रमुख पहलुओं पर आधारित चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।

इनमें निम्नलिखित विषयों पर गहन चर्चा हुई—
✔ कृषि वानिकी को प्राकृतिक समाधान के रूप में अपनाना
✔ IoT और AI के माध्यम से जल निगरानी को उन्नत करना
✔ सूक्ष्म सिंचाई और जल संरक्षण तकनीकों को बढ़ावा देना
✔ सामुदायिक भागीदारी और सतत कृषि को प्रोत्साहित करना

ग्रामीण आजीविका और जल संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से PMKSY 2.0 के तहत वाटरशेड विकास को आगे बढ़ाने और हितधारकों को सशक्त बनाने का प्रयास किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पहल लंबी अवधि में पर्यावरणीय स्थिरता को मजबूत करेगी और ग्रामीण समुदायों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगी।

टेरी: सतत विकास में अग्रणी
टेरी एक स्वतंत्र बहुआयामी अनुसंधान संगठन है, जो ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्थिरता के क्षेत्रों में नीति अनुसंधान और तकनीकी विकास में कार्यरत है। टेरी ने लगभग पांच दशकों से इन मुद्दों पर संवाद और नवाचार का नेतृत्व किया है।

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